कुंवारी कन्या विवाह पंचमी पर करें ये उपाय, मिलेगा मनचाहा वर! देवघर के ज्योतिषी से जाने सबकुछ

परमजीत कुमार/देवघर.मार्गशीर्ष का महीना भगवान विष्णु को समर्पित रहता है. इस महीने मे आने वाले सभी तरह के व्रत और त्यौहार बहुत भी खास महत्व होता है. वहीं हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को विवाह पंचमी का त्यौहार मनाया जाता है.धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान राम और माता सीता का विवाह हुआ था. इसलिए इस दिन भगवान राम और माता सीता के विवाह का वर्षगाठ के रूप मे इस दिन को मनाते आरहे है. कई सारे राम मंदिरो मे इस पर्व को धूम धाम से मनाते है. इसके साथ हीं घर मे भगवान राम और माता सीता की पुजा भी करते है. तो आइये देवघर के ज्योतिषाचार्य से जानते है कि कब है विवाह पंचमी और क्या है इसका महत्व?

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्दकिशोर मुद्गल ने लोकल 18 को बताया कि विवाह पंचमी हर साल मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथी को मनाया जाता है. इस साल विवाह पंचमी का त्यौहार 17 दिसंबर को मनाया जाएगा. कही दूसरे राज्य में इस दिन नाग पंचमी का भी त्यौहार मनाया जाता है. इस दिन विधि विधान के साथ भगवान राम और माता सीता की पुजा आराधना करनी चाहिए. इससे भगवान राम प्रशन्न होकर भक्त की मनोकामना जल्द पूर्ण करते है.

कब शुरू हो रही पंचमी तिथि
मार्गशीर्ष महीने के पंचमी तिथिकी शुरुआत 16 दिसंबर को रात के 08 बजकर 16 मिनट से शुरू हो रहीहै और समाप्त अगले दिन यानी 17 दिसंबर को रात 07 बजकर 26 मिनट पर हो रहा है. इसलिए उदयातिथिके अनुसार विवाह पंचमी का पर्व 17 दिसंबर को मनाया जाएगा.

कुंवारी कन्या इस दिन करे ये उपाय
जिस भी कुंवारी कन्या के विवाह मे अर्चन पैदा हो रहा है. अगर वो कन्या विवाह पंचमी के दिन कुछ उपाय कर लेते है यह उनको भगवान राम जैसा आदर्शपति मिलेगा. विवाह पंचमी के दिन कुंवारी कन्या भगवान राम और माता सीता की पुजा कर ॐ जानकी वल्ल्भाय नमः के मंत्रो का जाप 108बार करे. इससे आपके विवाह मे आने वाले अर्चन दूर हो जायेगी.

इस दिन क्या ना करें
विवाह पंचमी के दिन भूलकर भी शादी विवाह ना करे. इसके साथ हीं तामसिक भोजन बिल्कुल भी नहीं करनी चाहिए. इससे आपके जीवन पर नकरात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

Tags: Dharma Aastha, Local18

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