नई दिल्ली. स्पिन बॉलिंग की दुनिया में भारत का बड़ा नाम रहा है. चार दशक से अधिक समय पहले भारतीय स्पिन चौकड़ी-बिशन सिंह बेदी, भगवत चंद्रशेखर, ईरापल्ली प्रसन्ना और एस. वेंकटराघवन, विपक्षी टीमों के लिए मुसीबत साबित होती थी. विरोधी टीम के बैटरों को फिरकी के ‘जाल’ में फंसाकर विकेट लेने में इन्हें महारत थी. इस स्पिन चौकड़ी के इंटरनेशनल क्रिकेट से ओझल होने के बाद अनिल कुंबले, हरभजन सिंह, आर.अश्विन, वेंकटपति राजू, कुलदीप यादव और रवींद्र जडेजा जैसे स्पिनरों ने विश्व क्रिकेट में काफी प्रतिष्ठा हासिल की और टीम इंडिया को कई यादगार जीत दिलाईं.
रोचक बात यह है कि इसमें से ज्यादातर स्पिनर करियर की शुरुआत में तेज गेंदबाज बनना चाहते थे. बाद में अलग-अलग कारणों से इन्होंने स्पिन बॉलिंग की ओर रुख किया. कड़ी मेहनत से स्पिन बॉलिंग में महारत हासिल करके इन्होंने जो कमाल किया वह रिकॉर्ड पुस्तिकाओं में सुनहरे अक्षरों से दर्ज है.नजर डालते हैं देश के ऐसे स्पिनरों पर जो तेज गेंदबाज के तौर पहचान बनाना चाहते थे…
कुंबले को ‘चकर’ मानते हुए फास्ट बॉलिंग से रोका गया
दाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर अनिल कुंबले (Anil Kumble) इस समय टेस्ट क्रिकेट में दुनिया के चौथे नंबर के बॉलर हैं.132 टेस्ट में 29.65 के औसत से 619 विकेट उनके नाम पर दर्ज हैं.मुथैया मुरलीधरन, शेन वॉर्न ओर जेम्स एंडरसन के बाद सबसे ज्यादा विकेट ‘जंबो’ ने ही लिए हैं.वनडे में भी कुंबले (337 विकेट) भारत की ओर से सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले बॉलर हैं लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि कुंबले करियर की शुरुआत में स्पिनर के बजाय तेज गेंदबाज बनना चाहते थे.उन्होंने एक बार बताया था, ‘जब 13 साल की उम्र में मैंने फास्ट बॉलर के तौर पर शुरुआत की थी तो सीनियर्स ने यह कहते हुए मुझे बॉलिंग से रोक दिया कि मैं कलाई को अधिक मोड़ता हूं और यह नियम के खिलाफ है.उस समय वीडियो जैसी सुविधाएं ज्यादा उपलब्ध नहीं थीं.जब मुझसे कहा गया कि इस तरीके से में तेज गेंदबाजी नहीं कर सकता तो मैंने लेग स्पिन गेंदबाजी शुरू की.’
वैसे कुंबले की स्पिन गेंदबाजी में भी तेज गेंदबाजी काअसर दिखता था.उनकी गेंदों की गति परंपरागत स्पिनर से ज्यादा थी और वे उछाल भी हासिल करने में सफल होते थे. कई बार तो उन्होंने तेज गेंदबाज की तरह ‘यॉर्कर’पर भी विपक्षी बैटरों को बोल्ड किया.
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मां की सलाह पर तेज गेंदबाज से स्पिनर बने अश्विन
ऑफ स्पिनर आर. अश्विन (Ravichandran Ashwin) की कहानी कुंबले जैसी ही है. कुंबले के बाद टेस्ट में भारत के सबसे कामयाब गेंदबाज अश्विन ने क्रिकेट की शुरुआत ओपनर बैटर और तेज गेंदबाज के तौर पर की थी.जूनियर स्तर पर बैटर के तौर पर भी उन्होंने नाम कमाया.अश्विन को क्रिकेटर बनाने में उनकी मां चित्रा का अहम योगदान रहा है. यह चित्रा ही थीं जिन्होंने बेटे को स्पिन गेंदबाजी में हाथ आजमाने की सलाह दी थी.सलाह पर अमल करते हुए अश्विन ने स्पिन गेंदबाजी को गंभीरता से लिया और जल्द ही इसमें महारत हासिल कर ली.अश्विन के दादाजी एस नारायणसामी की भी क्रिकेट में दिलचस्पी थी. स्कूल के दिनों में क्रिकेटर अश्विन को उन्होंने भी खूब प्रोत्साहित किया.वर्ष 2017 में ही अश्विन के दादाजी का देहांत हुआ है.अश्विन 95 टेस्ट में 490, 116 वनडे में 156 और 65 टी20I में 72 विकेट ले चुके हैं. आईपीएल में वे राजस्थान रॉयल्स के सदस्य हैं जिसने वर्ष 2021 में उन्होंने 5 करोड़ रुपये की राशि में अपने साथ जोड़ा था.
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अकरम जैसे तेज गेंदबाज बनना चाहते थे कुलदीप
कानपुर के कुलदीप यादव (Kuldeep Yadav)इस समय भारतीय टीम के स्टार स्पिनर हैं.बाएं हाथ के रिस्ट स्पिनर कुलदीप भारतीय सीनियर टीम की ओर से खेलते हुए दो हैट्रिक भी ले चुके हैं. कुलदीप जब 10 साल की उम्र में क्रिकेट की कोचिंग के लिए गए तो तेज गेंदबाज बनना चाहते थे.पाकिस्तान के बाएं हाथ के महान तेज गेंदबाज वसीम अकरम उनके आदर्श थे लेकिन कोच कपिल पांडे ने भांप लिया कि कुलदीप में अच्छा तेज गेंदबाज बनने लायक ‘कौशल’ नहीं है.उन्होंने कुलदीप को रिस्ट स्पिनर बनने की सलाह दी.इस सलाह पर अमल करते हुए उन्होंने अपनी गेंदबाजी को तराशने के लिए घंटों नेट पर मेहनत की और खुद को बेहतरीन ‘चाइनामैन’ बॉलर के तौर पर स्थापित किया. कुलदीप आज शॉर्टर फॉर्मेट के क्रिकेट में भारतीय टीम (Team India) की जरूरत बन चुके हैं.वर्ल्डकप 2023 में कुलदीप की बलखाती गेंदों का सामना करना विपक्षी बैटरों के लिए टेढ़ी खीर रहा.
कुलदीप IPL में कोलकाता नाइटराइडर्स टीम की ओर से खेल चुके हैं, इस टीम से बॉलिंग कोच के तौर पर अकरम जुड़े थे.भारतीय स्पिनर ने तब अकरम को उनके जैसे तेज गेंदबाज बनने की अपनी हसरत के बारे में बताया था.साथ ही यह भी कहा था कि मैं अगर स्पिन गेंदबाजी को नहीं आजमाता तो शायद आपसे कभी भी मिल नहीं पाता.कुलदीप 8 टेस्ट में 34, 103 वनडे में 168 और 34 टी20I में 58 विकेट ले चुके हैं.
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फास्ट बॉलर बनना चाहते थे जडेजा लेकिन गेंदों में नहीं थी गति
बाएं हाथ के स्पिनर रवींद्र जडेजा (Ravindra Jadeja)मौजूदा समय में अश्विन के बाद टेस्ट क्रिकेट में भारत के सबसे कामयाब स्पिनर हैं लेकिन ‘सर जडेजा’ ने भी तेज गेंदबाज बनने का सपना लेकर क्रिकेट शुरू किया था. जडेजा ने स्टार स्पोर्ट्स के शो ‘स्टार्स ऑन स्टार’ में एक बार बताया था, ‘मैंने जब क्रिकेट प्रारंभ किया तो फास्ट बॉलर बनना चाहता था.तेज गेंदबाजों को बाउंसर फेंकते देखना मुझे पसंद था और मैं भी ऐसा करना चाहता था लेकिन दुर्भाग्यवश मेरी गेंदों में उनकी रफ्तार नहीं थी.’जड्डू को जल्द ही अहसास हो गया कि तेज गेंदबाजी उनके बस के बाहर है ऐसे में उन्होंने बैटिंग और स्पिन बॉलिंग पर फोकस किया और हरफनमौला बनकर खूब नाम कमाया. जडेजा 68 टेस्ट में 270, 197 वनडे में 220 और 66 टी20I में 53 विकेट ले चुके हैं.
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रवि और चहल की कद-काठी तेज गेंदबाज जैसी नहीं थी
स्पिन बॉलिंग में भारत की नई सनसनी रवि बिश्नोई (Ravi Bishnoi) की कहानी भी ऐसी ही है.दाएं हाथ के लेग स्पिनर रवि 2020 के अंडर 19 वर्ल्डकप के शानदार प्रदर्शन के बाद चर्चाओं में आए और इसके करीब दो वर्ष बाद ही भारत की सीनियर टीम की ओर से खेले.IPL के पिछले दो सीजन से वे लखनऊ सुपरजाइंट्स का हिस्सा हैं जिसने 4 करोड़ रुपये की ऊंची कीमत पर उन्हें अपने साथ जोड़ा है. राजस्थान के रवि बिश्नोई करियर की शुरुआत में तेज गेंदबाज बनना चाहते थे लेकिन कद-काठी देखकर जोधपुर के उनके कोच प्रद्योत सिंह और शाहरुख खान पठान ने उन्हें स्पिनर बनने की सलाह दी. इन दोनों कोच ने रवि की स्पिन बॉलिंग में पैनापन लाने में काफी पसीना बहाया और नतीजा सामने है. रवि को टीम इंडिया का भविष्य का बॉलर माना जा रहा है. 23 टी20I में 36 और एक वनडे में एक विकेट उन्होंने हासिल किया है.
बिश्नोई की तरह दाएं हाथ के एक अन्य रिस्ट स्पिनर युजवेंद्र चहल (yuzvendra chahal) भी स्कूल के दिनों में मध्यम तेज गेंदबाजी करते थे लेकिन पिता की सलाह के बाद उन्होंने स्पिन गेंदबाजी शुरू की थी.उनके पिता यूनिवर्सिटी लेवल के क्रिकेटर रहे हैं. युजी चहल टी20I में भारत की ओर से सर्वाधिक विकेट लेने वाले बॉलर हैं लेकिन इस समय इस फॉर्मेट की टीम से बाहर चल रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 17, 2024, 07:18 IST