कुंडली में है पितृदोष, तो धन रुकेगा नहीं और होगी घर में कलह, करें ये 7 उपाय

परमजीत कुमार/देवघर. पितृपक्ष 30 सितंबर से शुरू होकर अश्विन महीने की अमावस्या यानी 14 अक्टूबर तक रहनेवाला है. अगर आपकी कुंडली में पितृदोष है तो पितृपक्ष में कुछ उपाय कर इससे मुक्ति पाया जा सकता है. कुंडली में पितृदोष होने से कमाया हुआ धन भी खर्च हो जाता है और दिन-ब-दिन परेशानियां बढ़ती जाती हैं. ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि कुंडली में पितृदोष के निवारण के लिए पितृपक्ष सबसे शुभ माना जाता है. इन दिनों में कुछ उपाय करने मात्र से सारी समस्या समाप्त हो जाती है.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंद किशोर मुद्गल ने लोकल18 को बताया कि पितर के नाराज हो जाने से कुंडली में पितृदोष पड़ता है और चीजें अशुभ होने लगती हैं. पितर के नाराज होने से उसका सीधा असर वंश पर पड़ता है. वहीं जब कुंडली में पितृदोष शांत रहता है तो घर परिवार भी शांति रहती है और धन आवगमन होता रहता है. परिवार में कलह का कारण पितृदोष भी हो सकता है. इन सभी चीज़ों से छुटकारा के लिए पितृपक्ष में कुछ उपाय करना जरूरी है.

क्या है पितृदोष के लक्षण

ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि अगर आप की कमाई अच्छी हो रही है फिर भी धन आपके पास रुक नहीं रहा है. परिवार में लगातार कलह बढ़ती जा रही है. घर में पीपल का पेड़ उगा हुआ है. तो जान लें कि आपकी कुंडली में पितृदोष लिखा हुआ है. इसके साथ ही सबसे बड़ी बात यह है कि जब कुंडली में सूर्य और राहु एक साथ विराजमान हो जाएं तो पितृदोष होना स्वभाविक होता है.

करें ये 7 उपाय

पितृदोष से मुक्ति के लिए पितृपक्ष के दौरान पीपल के पेड़ को जल देकर अक्षत, फूल और काला तिल अर्पित करें.

पितृपक्ष के दौरान रोजाना सुबह उठकर स्नान कर दक्षिण दिशा में मुंह कर पितरों को प्रणाम करना चाहिए.

पितृपक्ष के दिनों में रोजाना शाम को पीपल के पेड़ के नीचे घी का दिया अवश्य जलाएं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं.

पितृपक्ष के दौरान नाग स्तोत्र और महामृत्युंजय मंत्र का पाठ करें. इससे पितृदोष से जल्द ही मुक्ति मिल जाती है.

पितृपक्ष के दौरान सोमवार के दिनों में भोलेनाथ को दही-हल्दी का लेप लगाकर 21 आंक का फूल अर्पित करें. इससे परिवार में कलह खत्म हो जाती है और पितृदोष से मुक्ति मिलती है.

पितृपक्ष के दिनों में रोजाना सुबह-शाम घर में कर्पूर जलाएं. इससे पितृदोष से छुटकारा मिलता है.

पितृपक्ष के दिन किसी भी गरीब या ब्राह्मण भोज अवश्य कराएं. इससे पितर प्रसन्न होते हैं और पितृदोष से छुटकारा मिलता है.

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