नई दिल्ली. इस भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई भीड़ से बिल्कुल अलग दिखना चाहता है. अगर चारों तरफ कंपीटिशन ही कंपीटिशन है ऐसे में एक आम आदमी भीड़ के बीच अलग कैसे दिखे और अपनी अलग पहचान कैसे बनाए? क्रिकेटरों जैसा न तो हम लाइफ स्टाइल जी सकते हैं और न ही बॉलीवुड अभिनेताओं जैसे लग्जरी गाड़ियां रख सकते हैं. लेकिन, एक चीज है जो हमें आम आदमी को भीड़ के बीच भी खास बना देती है. वो है हमारी ड्रेसिंग सेंस. हम कैसे कपड़े पहनते हैं ये आज के दौर में बहुत मायने रखता है. इसके लिए जरूरी नहीं कि हम महंगे और डिजाइनर कपड़े ही पहनें. हमें वैसा कपड़ा पहनना है, जिसमें हम भीड़ से बिल्कुल अलग दिखें. जाहिर है इसके लिए सोचना पड़ेगा कि आखिर ऐसा क्या है जो हमारे आसपास जो हमारी छवि सैकड़ों लोगों के बीच भी खास बना दें.
सोचिए अलग दिखने की चाहत में अगर कोई आपको सलाह दे कि आप कीड़े से बना हुआ कपड़ा पहनें जिसमें कि आप बिल्कुल ही अलग दिखेंगे. आप एक पल के लिए सोचिएगा ये क्या है. क्या ऐसा भी कोई कपड़ा है जो कीड़े से बनता है, इसका जवाब हां है. ऐसा कपड़ा है जो कीड़े से बनता है और जिसका बिहार से एक खास नाता है.
भीड़ से अलग दिखने की कवायद
भागलपुरी साड़ी अपनी खासियत की वजह से दुनिया भर में लोकप्रिय है. इसके कई नाम हैं भागलपुरी सिल्क साड़ी, भागलपुरी साड़ी को शांति रेशम भी कहा जाता है. हम आपको आज बाताएंगे रेशम कीट की यानि की रेशम के कीड़े की. भले रेशम की शुरुआत चीन में हुई है, लेकिन भारत ने इस दौर में रेशम की दुनिया में अलग ही नाम कमाया है. भारत इकलौता देश है जहां रेशम की सभी पांच वाणिज्यिक किस्मों मलबरी, ट्रॉपिकल टसर, ओक टसर, इरी और मूंगा का उत्पादन किया जाता है. बता दें देश में सबसे ज्यादा मलबरी किस्म के रेशम का उत्पादन यही होता है, जबकि सबसे अधिक शहतूत रेशम कीट का पालन होता है.
भागलपुरी साड़ी अपनी खासियत की वजह से दुनिया भर में लोकप्रिय है.
रेशम कीट क्या होता है?
रेशम कीट एक कीड़ा है जिससे रेशम बनता है. बाम्बिक्स वंश के लारवा से सिल्क बनता है. आर्थिक तौर पर ये काफी फायदेमंद होते हैं. इनकी कीमत हजारों में होती है. चीन में रेशम कीट का उत्पनादन 5000 सालों से होता आया है. रेशम का कीड़ा एकलिंगी होता है मतलब ये कि नर और मादा अलग-अलग होते हैं. ये शहतूत के पत्तों को खाता है इसलिए इसलिए इसे शहतूत कीड़ा भी कहा जाता है.
रेशम का धागा कैसे बनता है?
दिलचस्प बात ये है कि ये कीड़ा चार दिन तक ही जिंदा रहता है, लेकिन उससे भी हैरान करने वाली बात ये है कि इन्हीं चार दिनों में ये 300 से 400 अंडे देता है. तकरीबन 10 दिनों के बाद हर अंडे से एक कीड़ा निकलता है. आठ दिनों तक ये कीड़े एक तरल प्रोटीन को निकालते हैं, जो हवा के संपर्क में आते ही सख्त बनकर धागे के रुप में आ जाता है. फिर धागा बॉल का आकार ले लेता है जिसे कोकून कहा जाता है. इस कोकून को गर्म पानी में डालकर रेशम तैयार किया जाता है. एक कोकून से 1300 मीटर तक रेशमी धागा निकलता है. भारत में तकरीबन 60 लाख से ज्यादा लोग इस व्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
बिहार से रेशम का है खास नाता
रेशम का उत्पादन भले ही चीन में पहले हुआ हो, लेकिन आज भारतीय हस्तकला और हस्तकरघा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है. कपड़ों पर नक्काशी ऐसी कि विदेशी देखते ही रह जाते हैं. भारत आते ही वे वेस्टर्न कपड़ों को भूलकर पारंपरिक भारतीय पहनावा अपना लेते हैं. हम सब जानते हैं कि साड़ी हमारे लिए, हमारे समाज में क्या स्थान रखती है.हमारी एक पूरी संस्कृति साड़ी के इर्द-गिर्द दिखती है. उसमें भी भारतीय रेशम की साड़ियों की बात ही निराली है और अगर वो साड़ी भागलपुरी टसर सिल्क हो तो क्या ही कहने.
रेशम का उत्पादन भले ही चीन में पहले हुआ हो, लेकिन आज भारतीय हस्तकला और हस्तकरघा का दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है.
भागलपुरी सिल्क क्यों फेमस है?
भागलपुर सिल्क साड़ी को टसर सिल्क साड़ी के नाम से भी जाना जाता है. प्राकृतिक तरीके से इसे तैयार किया जाता है. इसे बनाने के दौरान रेशम के कीड़ों को कोई नुकसान न हो इसका भी ख्याल रखा जाता है. भागलपुरी सिल्क साड़ी की सबसे खास बात ये है कि ये वजन में बहुत ही हल्कीं होती हैं. आज कल नई पीढ़ी साड़ी पहनना नहीं चाहती क्योंकि उन्हें इसे संभालना अजीब लगता है लेकिन भागलपुरी सिल्क साड़ी के साथ ऐसा नहीं है. खास बात ये भी है कि भागलपुर सिल्क साड़ी पर खास तरह की कलाकृतियां उकेरी जाती हैं, जिसके कारण ये और भी सुंदर लगती है. इसकी बुनावट ऐसी होती है कि ये सर्दी औऱ गर्मी किसी भी मौसम में पहनी जा सकती है.
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भागलपुर शहर के लिए सिल्क साड़ी सिर्फ व्यवसाय नहीं बल्कि एक संस्कृति को सहेजते हुए बचाकर रखने का दूसरा नाम है, सिल्क साड़ी इस शहर की पहचान है. दुनिया में टसर सिल्क के उत्पनादन में भारत का दूसरा स्थान है. आपको ये जानकर हैरानी होगी कि एक मीटर भागलपुरी सिल्क साड़ी की कीमत 10 हजार रुपये तक हो सकती है. भागलपुरी सिल्क साड़ियों को बुनकर तीन दिन में बनाते हैं. हाथ से बनी इस सिल्क साड़ियों को खूब डिमांड है शायद इसलिए इनकी कीमत भी उतनी ही ज्यादा है. इन सिल्क साड़ियों की सबसे बड़ी खासियत ये भी है कि इसे पहनकर आप आम लोगों के बीच बिल्कुल खास बन जाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 16:55 IST