किस्मत पलटते देर नहीं लगती, धान-गेहूं छोड़ शुरू की ये खेती, अब गांव वाले…..

संजय यादव/बाराबंकी: बाराबंकी जनपद किसी समय अफीम की खेती के लिए मशहूर था. लेकिन वर्तमान समय में फलों व सब्जियों की खेती के लिए जाना जाता है. मौजूदा समय में जनपद के किसान परंपरागत फसलों से हटकर नगदी फसलों पर फोकस कर रहे है और फसलों का जबरदस्त उत्पादन कर खेती किसानी में शानदार मुनाफा कमा रहे हैं. इन्ही किसानों मे प्रगतिशील किसान प्रदीप यादव भी शामिल है, जो खेती में अपना लोहा मनवा रहे हैं. रबी के सीजन मे प्रदीप यादव अपनी दो एकड़ भूमि मे गाजर की खेती कर लाखों रुपए मुनाफा कमा रहे हैं.

बाराबंकी जिले के बंकी ब्लाक क्षेत्र के सहेलिया गांव के रहने वाले प्रगतिशील किसान प्रदीप यादव ने दो बीघे भूमि पर गाजर की खेती शुरु की. जिसमें उन्हें अच्छा फ़ायदा देख आज वह करीब दो एकड़ में गाजर आदि की खेती कर रहे हैं. जिससे उन्हें प्रतिवर्ष लगभग 3 से 4 लाख रुपए मुनाफा हो रहा है. आज इनकी खेती देख गांव के कई किसान इन्ही की तरह खेती करने लगे हैं और लाखों रुपये मुनाफा कमा रहे हैं.

गाजर की खेती से कर सकते हैं अच्छी कमाई
किसान प्रदीप यादव ने बताया कि करीब हम दस सालों से गाजर की खेती कर है. इससे पहले हम पारंपरिक खेती धान, गेंहू आदि की करते थे. जिसमें हमे कोई मुनाफा नहीं हो पाता था. क्योंकी इन फसलों को जानवर खा जाते थे और बहुत ही ज्यादा देख रेख करनी पड़ती थी. फिर हमने इन फसलों से हटकर अलग फसलों की तरफ रुख किया जिसमें हमे गाजर की खेती के बारे में जानकारी हुई. आज करीब दो एकड़ में गाजर की खेती कर रहे हैं. जिसमें एक बीघे में करीब में 7 से 8 हजार रुपए की लागत आती है क्योंकि इसमें बीज, खाद, पानी आदि का खर्च लगता है और मुनाफा करीब एक फसल पर 3 से 4 लाख रुपये तक का हो जाता है.

कैसे करें खेत को तैयार
गाजर की बुवाई करने से पहले खेत को बुआई के लिए समतल कर लें. खेत की जुताई करें. प्रत्येक जुताई के बाद पाटा लगाएं. इससे खेत की मिट्टी भूरभूरी हो जाती है और इसमें गोबर की खाद को अच्छी तरह से मिला लें. खेत में देसी खाद, पोटाश और फ़ॉस्फ़ोरस उर्वरक अवश्य डालें. इससे उत्पादन अच्छा होगा. उत्पादन अच्छा होगा, तो मुनाफा भी बढ़ेगा. गाजर को विभिन्न प्रकार की जमीनों में उगाया जा सकता है लेक‍िन, अच्छी उपज के लिए उचित जल निकास वाली भुरभुरी दोमट म‍िट्टी सर्वोत्तम रहती है. बुआई के 12 से 15 दिन बाद बीज अंकुरित हो जाते हैं.अगर बुवाई से पहले बीजों को 24 घंटे पानी में भिगोते हैं, तो ये बीजों के अंकुरित होने में कम समय लगता है.

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