विशाल कुमार/छपरा. भारत कृषि प्रधान देश है और बिहार की अर्थव्यवस्था भी खेती-किसानी पर ही टिकी है. किसान ऐसे फसलों की खेती की तलाश करते हैं, जिससे उन्हें बेहतर कमाई हो सके. बदलते दौर में खेती का ट्रेंड भी बदल रहा है और किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी भी हो रही है. इसी कड़ी में एक ऐसे प्लांट के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी खेती कर किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. सबसे खास बात यह है कि यह घर के किचन में पाया जाता है और यह स्वाद को बढ़ाने का काम करता है. सब्जी से लेकर हर प्रकार के व्यंजन में इसका इस्तेमाल होता है.
जी हां हम बात कर रहे हैं तेजपत्ते की. तेजपत्ते का उपयोग मसाले के तौर पर किया जाता रहा है. हालांकि, इसकी खेती करने का चलन नहीं के बराबर था. किसान इसके फायदे का सौदा नहीं मानते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है. डिमांड बढ़ने के साथ किसान भी तेजपत्ते की खेती करने में रूचि दिखाने लगे हैं. बिहार में छपरा के किसान इसकी खेती करने लगे हैं. डिमांड बढ़ने के बाद अब नर्सरी में भी यह पौधा मिलने लगा है.
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कम लागत में अच्छी कमाई
छपरा जिला स्थित मांझी के रहने वाले मकसूद आलम मुन्ना ने बताया कि सबसे पहले ट्रायल के तौर पर एक पौधा लगाया था. पौधे का ग्रोथ भी बेहतर रहा और रिजल्ट बेहतर मिला तो अन्य किसान भी तेजपत्ते के पौधे लगाने के लिए डिमांड करने लगे. इसके बाद नर्सरी में तेजपत्ते का पौधा भी रखने लगा. किसानों की मांग पर ही तेजपत्ते के पौधे को लाकर बिक्री कर रहे हैं. तेजपत्ते का पौधा लगाने के छह माह बाद से ही इसके पत्ते तोड़कर बेच सकते हैं. उन्होंने बताया कि किसानों को इसकी जानकारी पहले नहीं थी. लेकिन अब जानकारी हो गई है. अब नर्सरी से रोजाना तेजपत्ते के पौधे की बिक्री हो रही है. वहीं, 125 रुपए में तेजपत्ते का एक पौधा किसानों को देते हैं. किसान इसकी खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
औधषि का काम करता है तेजपत्ता
मकसूद आलम मुन्ना ने बताया कि बाजार में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है. किसान तेजपत्ते का पौधा लगाकर कमाई कर सकते हैं. यह कम लागत में अधिक मुनाफा देने वाला पौधा है. उन्होंने बताया कि स्वाद बढ़ाने के लिए मसाले के रूप में इसका प्रयोग तो करते हैं, लेकिन लोगों को यह पता नहीं है कि तेजपात हमारे शरीर के लिए औषधि का भी काम करता है. कई प्रकार की दवाइयों को बनाने में उपयोग होता है. आर्युवेद में भी तेजपत्ते की काफी महत्ता है. यह एक ऐसा पेड़ है जिसके पत्ते से लेकर जड़ तक का उपयोग जड़ी-बूटी बनाने में होता है. तेजपत्ते को अधिक पानी की भी जरूरत नहीं होती है. सप्ताह में एक दिन सिंचाई कर सकते हैं. तेजपत्ते का तेल भी बेहद गुणकारी होता है.
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FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 16:10 IST