दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम: कृषि विभाग ने जिले के प्रत्येक ब्लॉक में मिट्टी परीक्षण शुरू किया है. खेतों से सैंपल लेकर मिट्टी परीक्षण केंद्र पवारखेड़ा, केवी बनखेड़ी और नर्मदापुरम की मंडी स्थित लैब में भेजे जाते हैं. यहां परीक्षण कर उसमें मिले तत्व की कमी और अधिकता की रिपोर्ट तैयार की जाती है. इसके बाद हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं.
अभी तक जिले के 9559 किसानों को कार्ड बनाकर दिए गए हैं, जबकि 19,302 किसानों को हेल्थ कार्ड देने का लक्ष्य है. कृषि विभाग लगातार खेतों में जाकर सैंपल लेकर जांच कर रहा है. बता दें कि नदी, पर्वतों और जंगल से घिरे नर्मदापुरम में खेती के लिए उत्तम किस्म की काली मिट्टी है. इसमें उपज और गुण दूसरे जिलों से कई गुना अधिक हैं.
प्रति एकड़ में 5 जगह से लेते हैं सैंपल
नर्मदापुरम के कृषि विभाग की टीम सैंपल लेने के लिए प्रति एकड़ कृषि भूमि में 5 अलग-अलग स्थानों से मिट्टी को निकलती है. इसको महीन करने के बाद एक पोटली बनाकर इस पर किसान का नाम, पता एवं खेत का खसरा सहित जानकारी दर्ज की जाती है. जिले को तीन भागों में बांटकर प्रयोगशाला में इसकी जांच की जा रही है.
मिट्टी में जिंक की कमी
विभाग से मिली जानकारी के अनुसार, अभी तक की गई जांच में अधिकतर खेत की मिट्टी में जिंक की कमी पाई गई है. साथ ही माइक्रोन्यूट्रिएंट की भी कमी मिली है. कृषि वैज्ञानिक ने बताया कि पौधों के विकास के माइक्रोन्यूट्रिएंट होना बहुत जरूरी है. इसे सूक्ष्म पोषक तत्व एवं ट्रेस एलिमेंट भी कहते हैं. यह गोबर की खाद में सबसे अधिक होता है, पर किसानों द्वारा इसका उपयोग कम होने के कारण खेतों में कमी मिल रही है.
गोबर खाद का करें उपयोग
कृषि महाविद्यालय के डीन डॉ. अनिमेश चटर्जी ने बताया कि हम खेतों से उपज तो भरपूर ले रहे हैं पर उनको कुछ देते नहीं हैं. इसके कारण हमारी उपजाऊ भूमि बीमार होने लगती है. काली मिट्टी के खेतों में जिंक और माइक्रोन्यूट्रिएंट्स की कमी मिलना आने वाले समय के लिए संकेत हैं. हमें अभी से सचेत हो जाना चाहिए. किसान खेतों से जिस तरह फसल ले रहे हैं, उसी तरह मिट्टी का उपचार भी करें. फसल कटाई के बाद मिट्टी में गोबर की खाद भी डालें. इससे कई तत्व मिट्टी को मिलेंगे और फसल भी अच्छी होगी.
हेल्थ कार्ड से कई फायदे
नर्मदापुरम कृषि उपसंचालक जेआर हेड़उ ने बताया कि जिलेभर में खेतों की मिट्टी की जांच कर हेल्थ कार्ड बनाए जा रहे हैं. हेल्थ कार्ड बनने से मिट्टी में क्या कमी है, इसकी जानकारी किसान को भी रहती है. इससे वह समय पर उपचार करा सकते हैं. हेल्थ कार्ड के फायदे हैं. इससे किसान को पता रहता है कि मिट्टी में कौन से तत्वों की कमी है. उसे दूर किया जाता है. किसान मिट्टी की तासीर के हिसाब से मिट्टी का उपचार कर सकते हैं. वैज्ञानिकों के मार्गदर्शन में उचित उपज का चयन कर बोवनी के लिए कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : January 9, 2024, 17:35 IST