किसान ने खास तकनीक से शुरू की खेती, बंपर हो रही पैदावार, दोगुना हो गया मुनाफा

विशाल भटनागर/मेरठ:कृषि की क्षेत्र की बात की करें तो एक दौर ऐसा हुआ करता था. सभी किसान प्राकृतिक खेती के माध्यम से ही विभिन्न प्रकार की फसलों को उगाया करते थे. लेकिन अब काफी ऐसे किसान है जो रासायनिक खाद के माध्यम से खेती करना अच्छा समझते हैं. जिससे कहीं ना कहीं जमीन की उपजाऊ क्षमता पर असर पड़ रहा है.

इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुए मेरठ से 30 किलोमीटर दूर खरखोदा ब्लॉक के खासपुर गांव के रहने वाले किसान प्रेमचंद शर्मा द्वारा पिछले कई सालों से प्राकृतिक आधारित खेती विधि अपनाई जा रही है. जिसके माध्यम से जहां उनकी फसल में दोगुना उत्पादन हो रहा है. वहीं जो विभिन्न प्रकार के खाद में उनका पैसा खर्च होता था, उससे भी बचत हो रही है.

कड़ी मेहनत से मिलता है अच्छा फल

किसान प्रेमचंद शर्मा ने बताया कि उन्हें इस कार्य करने के लिए मेहनत जरूर करनी पड़ती है. लेकिन जो मेहनत का फल निकलकर आता है. उससे वह काफी खुश हैं क्योंकि उनके द्वारा जो विभिन्न प्रकार के अनाज उगाए जाते हैं. उसकी डिमांड फसल काटने से पहले ही उनके पास आने लगती है. देश भर के लोग उनसे इसके लिए संपर्क करते हैं. उन्होंने बताया कि वह पहले दो बीघा ही खेती करते थे, जिसमें घर का खर्चा चल पाना भी संभव नहीं था लेकिन जबसे उन्होंने गौ आधारित खेती अपनाई है. आज वह 2 एकड़ में इस विधि से खेती करते हैं. जिससे उनकी कमाई दोगुना हो गई है.

यह है खेती करने का तरीका

कृषक प्रेमचंद शर्मा के ने बताया कि उनके घर पर ही पांच गाय हैं. जिनके गोबर और गोमूत्र के माध्यम से वह इस प्रकार से खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि देखा जाता है काफी लोग गोबर और गोमूत्र को नालियों में बहा देते हैं. लेकिन उन्होंने जिस स्थान पर गाय बांधी हुई है, वहीं पर नाली के पास ही 50-50 लीटर के तीन ड्रम लगाए हुए हैं. जिसमें गाय का गोमूत्र, बहता हुआ गोबर एकत्रित हो जाता है. जिसे वह बाद में 200 लीटर के ड्रम में एकत्रित कर देते हैं. उसके बाद वह गोमूत्र में दो किलो बेसन और गुड़ को अच्छे से मिला देते हैं. जिसके बाद जिस स्थान पर वह गाय के गोबर को एकत्रित करते हैं 8 दिन बाद उस गोबर पर पूरा का पूरा गोमूत्र को समाहित कर देते हैं. वह बताते हैं कि इस विधि से गोबर  बेहतर खाद के रूप में तब्दील हो जाता है. जिसके बाद वह अपने खेत में उस गोबर के खाद को डालते हैं.

फसल पर करते हैं इस प्रकार स्प्रे

नीम के पेड़ को काफी उपयोगी माना जाता है. इसी नीम के पेड़ का भी प्रेमचंद शर्मा अच्छा उपयोग करते हैं. वह एक ड्रम में नीम के पत्ते और निमोली, लहसुन, प्याज और हरी मिर्च को पानी में अच्छे से मिला लेते हैं. फिर उस पानी को  खेतों में डाल देते हैं. जिससे खड़ी फसल में किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं लगते. इसी के साथ वह एक ड्रम में मट्ठा अर्थात छाज को भी इठ्ठा करते हैं. उसमें तांबे के छल्ले डाल देते हैं. उसको छानकर फसल के ऊपर छिड़कते हैं. जिससे किसी भी प्रकार के कीड़े नहीं लगते हैं.

किसानों को कर रहे हैं जागरूक

प्रेमचंद शर्मा की प्राकृतिक खेती की लगन को देखते हुए उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा विभिन्न जनपदों में भी व्याख्यान के लिए आमंत्रित किया जाता है. जिसमें वह किसानों को प्रतिदिन कहीं ना कहीं जनपद में प्राकृतिक खेती के बारे में जागरूक करते हुए दिखाई देते हैं. उनको किसानों द्वारा मास्टर की उपाधि भी प्रदान की गई. वह कहते हैं कि अगर सभी किसान इसी प्रकार से खेती करें तो किसानों को किसी पर भी निर्भर होने की आवश्यकता नहीं है. बल्कि वह खुद इतने धनवान होंगे. जो अन्य लोगों के लिए मिसाल पेश कर सकें.

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