किसान आत्मनिर्भर होते हैं, कृषि बांधों का इस्तेमाल लघु पनबिजली संयंत्रों के रूप में क्यों न करें ?

पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र को लगाये जाने की लागत दुनियाभर में अधिक है। यह बदले में, लागत प्रभावी ऊर्जा भंडारण की मांग को बढ़ावा दे रहा है। यह देखते हुए कि अकेले ऑस्ट्रेलिया में 30,000 उपयुक्त कृषि बांध हैं, संभावना है कि यह तकनीक दुनियाभर में एक मूल्यवान भूमिका निभा सकती है। विशेष रूप से यह तकनीक दूरदराज के उन क्षेत्रों में किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है जहां ग्रिड कनेक्शन बहुत महंगा है।

किसान अक्सर अपनी आत्मनिर्भरता पर गर्व करते हैं। जब आप शहरों से दूर रहते हैं, तो जितना संभव हो उतना स्वयं काम करना ही समझदारी है।
ऑस्ट्रेलिया के व्यापक आकार का मतलब है कि दूरदराज के कई खेत लंबे समय से ग्रिड से दूर हैं क्योंकि बिजली कनेक्शन प्राप्त करना अक्सर बहुत महंगा होता है। लेकिन जो लोग अभी भी ग्रिड पर निर्भर हैं, उनके लिए अब नये विकल्प हैं।
जैसे-जैसे सौर ऊर्जा सस्ती होती जा रही है, अधिक से अधिक खेतों को बिजली के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य तय किया जा रहा है। लेकिन अब तक, ग्रिड से पूरी तरह से बाहर निकलने में एक बाधा रही है – सौर आंतरायिकता या सोलर इंटरमिटेन्सी। सौर ऊर्जा पहले से कहीं अधिक सस्ती हो सकती है।
बैटरियां एक आकर्षक समाधान हैं। लेकिन हो सकता है कि वे पूरे दिन का बैकअप न दें।

जेनरेटर विश्वसनीय बैकअप प्रदान करते हैं। लेकिन उनके नकारात्मक पहलू भी हैं। जेनरेटर को पुनः आपूर्ति करनी पड़ती है और इनसे हानिकारक उत्सर्जन उत्पन्न होता है।
किसानों के लिए, अब एक और विकल्प है। अपने बांधों में से एक को नदी से जोड़ दें या दो बांधों को एक साथ जोड़ दें ताकि रात में इस्तेमाल करने के लिए सौर ऊर्जा से बिजली का भंडारण करने के लिए एक छोटा पंप वाला पनबिजली संयंत्र बनाया जा सके।
हमारे नये शोध ने 30,000 से अधिक ग्रामीण स्थलों की पहचान की है जहां सूक्ष्म पंपयुक्त पनबिजली काम कर सकती है। एक विशिष्ट संयंत्र दो किलोवाट बिजली का उत्पादन कर सकता है और 30 किलोवाट घंटे ऊर्जा संग्रहित कर सकता है।
व्यापक से सूक्ष्म? हां, पंपयुक्त पनबिजली से खेतों में काम चलाया जा सकता है।

पंपयुक्त पनबिजली अनिवार्य रूप से जलविद्युत ऊर्जा को बैटरी में भी बदल रही है।
दो जलाशय लें, जहां एक दूसरे से ऊंचा हो। जब आपके पास अतिरिक्त सौर ऊर्जा हो तो आप उसका भंडारण करते हैं। कैसे? ऊर्जा का इस्तेमाल करके पानी को ऊपर की ओर पंप करके ऊपरी जलाशय तक ले जाया जाता है। जब आपको बाद में बिजली की आवश्यकता होती है, तो आप निचले जलाशय में पानी छोड़ते हैं और टरबाइन से बिजली का उत्पादन करते हैं।
किसानों के लिए, एक और अवसर मौजूदा बांधों का इस्तेमाल करने और पंपयुक्त पनबिजली निर्माण लागत को कम करने की क्षमता है।
यदि यह सस्ता है, तो यह अधिक व्यवहार्य है।

पंपयुक्त पनबिजली का इस्तेमाल करके सौर ऊर्जा से संचालित सिंचाई प्रणालियों पर प्रारंभिक शोध से पता चलता है कि इस प्रकार के ऊर्जा भंडारण के लिए इस्तेमाल की अवधि बैटरी की तुलना में चार गुना कम हो सकती है।
जैसा कि आपने अनुमान लगाया होगा, यह समाधान मौजूदा कृषि बांधों और नदियों के आकार तथा भूमि की स्थलाकृति पर निर्भर करता है।
हमारा शोध संभावित पंपयुक्त पनबिजली फार्म बांध स्थलों का पहला महाद्वीप-व्यापी मूल्यांकन है।
उदाहरण के लिए, यदि आप सीमित भूजल वाले सूखा-प्रभावित क्षेत्र में हैं, तो पंपयुक्त पनबिजली स्थापित करने का कोई मतलब नहीं होगा। सूखे के दौरान, आपको खेत में पानी की आवश्यकता हो सकती है।

हमारे शोध के अनुसार बांधों में 70 प्रतिशत पानी इस्तेमाल के लिए उपलब्ध है, जो सूखे या सिंचाई की जरूरतों के लिए जिम्मेदार नहीं है।
पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र को लगाये जाने की लागत दुनियाभर में अधिक है। यह बदले में, लागत प्रभावी ऊर्जा भंडारण की मांग को बढ़ावा दे रहा है। यह देखते हुए कि अकेले ऑस्ट्रेलिया में 30,000 उपयुक्त कृषि बांध हैं, संभावना है कि यह तकनीक दुनियाभर में एक मूल्यवान भूमिका निभा सकती है। विशेष रूप से यह तकनीक दूरदराज के उन क्षेत्रों में किसानों के लिए उपयोगी साबित हो सकती है जहां ग्रिड कनेक्शन बहुत महंगा है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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