अनुज गौतम/सागर: जिले में किसान जंगली जानवरों से परेशान हैं. खेतों में फसलें लहलहाने के बाद सबसे बड़ी चुनौती उन्हें बचाने की आ जाती है. जंगली जानवरों और आवारा मवेशियों से फसलों को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के जतन कर रहे हैं. कोई किसान पटाखे फोड़ रहा है तो कोई रात भर पहरेदारी कर रहा है.
लेकिन, कुछ किसानों ने अलग ही तकनीक इस्तेमाल की है. उन्होंने खेतों की मेड़ों पर बांस बांधकर पुरानी रंगीन साड़ियां लगा दी हैं. ऐसा लग रहा है, मानों खेतों ने साड़ियां पहल ली हों. कोई भी नया व्यक्ति इन क्षेत्रों में जाता है तो देखते ही हैरान रह जाता है. साड़ियों के अलावा, कुछ जगह फेंसिंग भी की गई है, ताकि फसल सुरक्षित रहें.
फसल को बर्बाद कर देते जानवर
खेतों में इन दिनों रबी की फसलें लहलहा रही हैं. रहली क्षेत्र के नौरादेही सहित रमगढ़ा, कड़ता, मादरा आदि जंगलों के पास के खेतों के किसान जंगली जानवरों से परेशान हैं. रात के समय जंगली जानवर खेतों में झुंड में घुसकर न केवल फसल को चट कर जाते हैं बल्कि, खेतों में धमाचौकड़ी कर फसल को बर्बाद कर देते हैं. फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए किसानों को रतजगा भी करना पड़ रहा है.
किसान अलग-अलग तरह के कर रहे प्रयोग
जंगली जानवरों से फसलों को बचाने के लिए कई किसान रात के समय खेतों में पटाखे फोड़ते हैं, जिनकी आवाज से जंगली जानवर तत्काल भाग जाते हैं. लेकिन, मौका पाकर दोबारा खेतों पर धावा बोलते हैं. वहीं कुछ किसानों ने खेतों की मेड़ों पर पुरानी रंगीन साडियां बांध दी हैं. किसानों के अनुसार, यह उपाय करने से जंगली जानवरों को खेत के अंदर की फसल दिखाई नहीं देती है. साथ ही उन्हें ऐसा आभास होता है कि यहां पर कोई मौजूद है, जिसके चलते वह खेतों में नहीं घुसते हैं.
जानवरों को मनुष्य मौजूद होने का आभास होता
किसान सुनील विश्वकर्मा ने बताया कि मेड़ों पर साड़ियां बांधने से जानवर खेतों में नहीं आते, शायद उन्हें किसी के मौजूद होने का आभास होता है. ब्लॉक पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. एनएस ठक्कर के अनुसार, एनिमल साइकोलॉजी के तहत साड़ियों के कारण जानवरों को खेतों के पास किसी मनुष्य के मौजूद होने का आभास होता है. साड़ियों के कारण उन्हें फसल भी दिखाई नहीं देती.
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FIRST PUBLISHED : March 6, 2024, 09:35 IST