विक्रम कुमार झा/पूर्णिया: केले के किसान के लिए राहत वाली ख़बर है. अब उनके केले की फसल को पीलिया बीमारी से कोई नुकसान नहीं होगा.पीलिया बीमारी का तोड़ पूर्णिया के इस किसान ने ढूंढ लिया है. अब सीमांचल के किसानों को केले की खेती में नहीं बनेगी बाधक पीलिया की बीमारी. अनुभवी किसान विनोद कुमार मंडल रुपौली तीर्थंंगा के निवासी हैं. वह पिछले एक वर्षों से केले के अलग-अलग प्रजातियों रिसर्च करते आ रहे हैं. सबसे बड़ी चीज उन्होंने एक साल की मेहनत से देसी मानकी केले के टिशु को तैयार किया है. नेचुरल टेंप्रेचर पर इसको तैयार किया है. इसमें जो मिट्टी और कंपोस्ट डाला गया है यह पूरी तरह से जैविक और खुले वातावरण में है. इन्होंने इस प्लांट के टिशु को तैयार किया, ताकि इसे कोई भी वातावरण में और यह प्लांट सही तरह से ग्रोथ कर सके और इसमें पीलिया बीमारी नहीं लगने की गारंटी है.
यह भी पीलिया का मुख्य लक्षण
पीलिया बीमारी यानी गलवा बीमारी यह बीमारी बहुत खतरनाक होता है केले के लिए है. इसके लिए तोड़ निकला कि जो रासायनिक खाद का हम लोग प्रयोग करते हैं वह अच्छी ढंग से नहीं दे पाते हैं. इसमें जैविक खाद का अधिक प्रयोग किया जाए और सबसे बड़ी चीज प्लांट जहां पर लेते हैं, वह प्लांट बड़ा प्लांट होना चाहिए. गलवा यापीलिया बीमारी जब हाई टेंपरेचर अधिक होगा तो पलिया कला के जड़ में पकड़ने का चांस रहता है. 30 डिग्री से जब तापमान अधिक होने लगता है तो केला के अंदर शक्तिहीन होने लगता है. इसका मुख्य कारण यह भी है कि किसान भाई जंगल को खत्म करने के लिए फर्टिलाइजर पॉइजन का प्रयोग कर लेते हैं, जो कभी नहीं करना चाहिए. उसके जगह आप घास की सफाई कर दें या कटर से घास को काट दें. दवाई का प्रयोग ना करें. जब पौधा छोटा अवस्था में ही पीलिया पकड़ लेता है या तो प्लांट जब बड़ा होता है जब फैलने के समय होता है.
इन दवाई का केले को रोपते समय करें छिड़काव
इस बीमारी की शुरुआती दौर में पता चले तो यह नेचुरल है. इसके लिए मेडिसिन कार्बनडागिन मैनकोजिम उसे कर लेंगे तो वह पौधा ठीक हो जाएगा. किसान नहीं जान पाते है कि यह पीलिया है या नहीं है, यह जानना सबसे जरूरी है. उन्होंने कहा पौधा जब बड़ा हो जाता है, जब फैलने का समय आता है तो यह बीमारी पकड़ती है. यह बीमारी जड़ से लेकर ऊपर तक पहुंच जाता है. जिस कारण पेड़ और फल दोनों गल कर गिरने लगते हैं. इस दौरान इसमें साप दवाई2 ग्राम प्रति लीटर के औसतन छिड़काव करें तो पीलिया नहीं लगेगा.
पीलिया बीमारी यानी गलवा बीमारी से बचने के लिए केला के किसानों को केला रोपाई करते वक्त भी अपने खेतों में कार्बनडीए जिम और मैनकोजिम इन दोनों दवाई का घोल बनाकर दो ग्राम प्रति लीटर के हिसाब से पौधे के जड़ को धोना चाहिए. स्प्रे करना चाहिए और जहां पर पौधा लगाने के लिए गड्ढा बना है और वह गड्ढा 24 घंटे खुले होने चाहिए. जिसके बाद उसके अंदर आपको पौधे को डालना चाहिए इसके बाद आपका प्लांट बेहतर होगा.
केले के जड़ के नीचे की बालियों में करें यह उपाय
विनोद कुमार मंडल कहते हैं कि केले के खेती करने वाले किसानों को सबसे बड़ी परेशानी यह होती है की केला का प्लांट बड़ा हो जाता है तो उसके जड़ के पास कई सारे बालियान आ जाती है, जो बालियान रहने के बाद में प्लांट के एनर्जी को खींच लेता है. जिस कारण उसके फलन पर भी असर पड़ सकता है, इसलिए इसको जल के पास निकले हुए बालियों को जड़ से काट दें और 2 इंच चौड़ा कटर लेकर काटने के बाद 90 डिग्री के साथ इसके अंदर काट दें. इसके बाद उसमें नई पत्तियां नई शाखा निकलना बंद हो जाएगा और बड़े पौधों में पोषक तत्व अधिक मात्रा में मिल पाएगा. इसका फलन भी बेहतर होगा और खंडी भी एक समान होगा.
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FIRST PUBLISHED : September 19, 2023, 10:05 IST