उत्तर प्रदेश के वाराणसी में काशी तमिल संगमम् के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को कृत्रिम मेधा (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एआई) का उपयोग करके वास्तविक समय में तमिल दर्शकों के लिए अनुवादित किया गया।
प्रधानमंत्री ने रविवार को कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘जो लोग तमिलनाडु से हैं, मैं उनसे अनुरोध करता हूं कि वे अपने इयरफोन (भाषण सुनने के लिए) का उपयोग करें।’’
मोदी ने उम्मीद जताई कि कृत्रिम मेधा से उनके लिए लोगों तक पहुंचना आसान हो जाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘यह मेरा पहला अनुभव है। भविष्य में मैं इसका इस्तेमाल करूंगा और आपको जवाब देना होगा। अब, जब मैं हिंदी में बोलूंगा तो एआई इसका तमिल में अनुवाद करेगी।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है महादेव के एक घर से उनके दूसरे घर तक आना।
तमिलनाडु से काशी आने का मतलब है मदुरै मीनाक्षी के स्थान से काशी विशालाक्षी के स्थान तक आना।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘तमिलनाडु और काशी के लोगों के दिलों में जो प्यार और बंधन है, वह अलग और अनोखा है। मुझे यकीन है, काशी के लोग आप सभी की मेहमान नवाजी में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। जब आप जाएंगे तो अपने साथ बाबा विश्वनाथ का आशीर्वाद, काशी का स्वाद, संस्कृति और यादें भी लेकर जायेंगे।’’
काशी तमिल संगमम् इस माह के अंत तक चलेगा। इसकी शुरुआत 17 दिसंबर को की गई, जिसमें तमिलनाडु और पुदुचेरी के 1,400 गणमान्य व्यक्ति भाग लेंगे।
सांस्कृतिक आदान-प्रदान के अलावा, कार्यक्रम में तमिलनाडु और वाराणसी की कला, संगीत, हथकरघा, हस्तशिल्प, व्यंजन और अन्य विशिष्ट उत्पादों की एक प्रदर्शनी आयोजित की जाएगी।
विभिन्न मंत्रालय जैसे संस्कृति, पर्यटन, रेलवे, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण, एमएसएमई, सूचना और प्रसारण, कौशल विकास और उद्यमिता, आईआरसीटीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों की भागीदारी के साथ केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी है।
‘काशी तमिल संगमम्’ के दूसरे संस्करण में साहित्य, प्राचीन ग्रंथ, दर्शन, अध्यात्म, संगीत, नृत्य, नाटक, योग और आयुर्वेद पर व्याख्यान भी होंगे। इसके अतिरिक्त, ‘‘नवाचार, व्यापार, ज्ञान का आदान प्रदान, शिक्षा तकनीक और अगली पीढ़ी की प्रौद्योगिकी’’ पर संगोष्ठी कराने की योजना बनाई गई है।
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