शुभम मरमट/उज्जैन. काल भैरव की पूजा करने से हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. बाबा काल भैरव की पूजा करने से तंत्र और मंत्र की सिद्धि होती है. इसके लिए काल भैरव की पूजा निशिता मुहूर्त में की जाती है. इस दिन रुद्रावतार काल भैरव की पूजा करते हैं. इस बार कालाष्टमी माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि यानी 2 फरवरी 2024 को मनाई जाएगी. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में सेनापति के रूप में स्वयं पूजे जाने वाले काल भैरवमंदिर में अष्टमी धूमधाम से मनाई जाएगी. कालाष्टमी पर भगवान काल भैरव का विशेष श्रृंगार किया जाएगा.
कालाष्टमी व्रत कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, माघ माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 2 फरवरी दिन शुक्रवार को शाम 04 बजकर 02 मिनट पर होगा. यह तिथि अगले दिन 3 फरवरी को शाम 05 बजकर 20 मिनट पर खत्म होगी.
काल भैरव का होगा विशेष शृंगार
भगवान काल भैरव का कालाअष्टमी के महापर्व पर बाबा का विशेष श्रृंगार किया जाएगा, जिसमें बाबा को नई वेशभूषा वस्त्र के साथ श्रृंगारकिया जाएगा. साथ ही बाबा का श्रृंगार स्वर्ण से किया जाएगा. उसी के साथ शाम को मंदिर परिसर में आतिशबाजी की देखने को मिलेगी. हिंदुओं में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार कालाष्टमी है. इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने की परंपरा है. भगवान काल भैरव, भगवान शिव का उग्र रूप हैं, जो लोग पूर्ण श्रद्धा-भाव के साथ उनकी पूजा करते हैं, भगवान काल भैरव हमेशा उनकी रक्षा करते हैं.
कालाष्टमी पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं. मंदिर को अच्छे से साफ करें. इसके बाद एक लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और भगवान काल भैरव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. भगवान के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाएं और काल भैरव अष्टक का पाठ करें. किसी भी प्रकार की तामसिक चीजों का सेवन न करें. फल और मिठाई अर्पित करें. अंत में काल भैरव की आरती करें. रात में सात्विक भोजन से ही अपना व्रत खोलें.
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FIRST PUBLISHED : February 2, 2024, 15:35 IST