कार्तिक मास की इस एकादशी को क्यों कहा जाता है देवउठनी?, जानें इसके पीछे की वजह

विकाश पाण्डेय/सतना,हिंदू धर्म में देवउठनी एकादशी का विशेष महत्त्व है. कार्तिक माह की एकादशी को भगवान विष्णु 4 माह के विश्राम के बाद योग मुद्रा से जागते हैं इसीलिये इसे देवउठनी एकादशी कहते हैं. इस एकादशी को देव प्रबोधिनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. हिंदुओं के प्रमुख त्यौहारों में से एक इस तिथि से ही सभी तरह के मांगलिक कार्य प्रारंभ होते हैं तो आइए समझते हैं कि देवउठनी एकादशी इसे क्यों कहा जाता है और इसका क्या महत्त्व होता है.

पण्डित रमाशंकर जी ने कहा कि आषाढ़ में विष्णु शयनी एकादशी होती है जिस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा में चले जाते हैं और समस्त मांगलिक कार्य बंद हो जाते हैं, जैसे व्रतबंध संस्कार, कर्णछेदन संस्कार, विवाह संस्कार, मुंडन संस्कार इत्यादि और चार माह के बाद भगवान विष्णु के योगनिद्रा से उठने के बाद सभी तरह के मंगलिक कार्य प्रारंभ हो जातें हैं.

क्यों कहा जाता है देवउठनी एकादशी
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान विष्णु जी की असमय नींद की वजह से माता लक्ष्मी विश्राम नहीं कर पाती थीं. इसीलिए मां लक्ष्मी ने एक बार विष्णु जी से कहा, हे नाथ! आप सृष्टि कल्याण में व्यस्त होते हैं आप समय से नींद नहीं लेते, दिन-रात जागते हैं और अगर सोते हैं तो जल्दी उठते नही साथ ही कभी- कभी अचानक सो जाते हैं. आप नियम से प्रतिवर्ष निद्रा लिया करें. ऐसा करके मुझे भी विश्राम करने का समय मिल जाएगा. माता लक्ष्मी की इस बात को सुन भगवान विष्णु मुस्कुराए और बोले, हे देवी! आपने सही कहा. मेरे जागने से आप ही नहीं बल्कि सभी देवों को भी कष्ट हो जाता है. मेरी सेवा के कारण आपको भी आराम नहीं मिल पाता. इसीलिए अब से मैं प्रतिवर्ष नियम से चार माह की निद्रा लूंगा. ऐसे आपको और सभी देवगणों को विश्राम का अवसर मिल सकेगा. तब से विष्णु शयनी एकादशी को भगवान सोते हैं और 4 माह बाद कार्तिक की एकादशी को जागते हैं.

देवउठनी एकादशी का महत्त्व.
हिंदू धार्मिक मन्यताओं के अनुसार आषाढ़ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान नारायण विष्णु योग मुद्रा यानी सायन मुद्रा में चले जाते हैं और कार्तिक माह की एकादशी को जागते है वैसे तो कार्तिक माह ही महत्त्वपूर्ण है जिसमें महीने भर भगवान विष्णु का विशेष पूजन किया जाता है एकादशी को सभी भक्त व्रत करते है और भगवान को थाली, लोटा, घंटी बजाकर उठाते हैं इस महीने की गई भगवान विष्णु की पूजा वर्ष भर के पूजन के बराबर फलदायी होती है.

देवउठनी एकादशी तिथि- शुभ मुहुर्त.
इस साल देवउठनी कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का प्रारंभ – 22 नवंबर 2023, रात 11.03 से कार्तिक शुक्ल एकादशी तिथि का समापन – 23 नवंबर 2023, रात 09.01 तक होगा
पूजा का समय- सुबह 06.50 से सुबह 08.09 से रात्रि पूजा का मुहूर्त- शाम 05.25 से रात 08.46 वहीं vव्रत पारण का समय- सुबह 06.51 से सुबह 08.57 (24 नवंबर 2023) होगा.

(नोट – सम्पूर्ण जानकारी पौराणिक कथाओं और धर्म शास्त्रियों के द्वारा दी गई जानकारी कर अनुरूप है किसी भी प्रकार की तथ्यात्मक चूक के लिए लोकल 18 की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी.)

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