शुभम मरमट / उज्जैन. विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल की नगरी में मोक्षदायनी मां शिप्रा का वास है. शिप्रा नदी पर 12 महीने हजारों श्रद्धालु स्नान करने आते है, लेकिन कार्तिक पूर्णिमा होने के कारण आज यहां श्रद्धालुओं का से सैलाब देखने को मिला.
कार्तिक पूर्णिमा पर उज्जैन में क्षिप्रा के घाटों पर श्रद्धालुओं का मेला है. सुबह से यहां घाटों पर श्रद्धालुओं का मेला लगने लगा था. मोक्षदायिनी नदी में स्नान के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु यहां पहुंचे हैं. मान्यता के मुताबिक, कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में नहान करने का अपना अलग महत्व है कार्तिक की पूर्णिमा पर क्षिप्रा में नहान करने से घर में सुख शान्ति प्राप्त होती है. दरसल एक महीने तक महिलाएं और युवतियां कृष्ण भगवान का पूजन करती हैं. एक माह के पूजन के बाद कार्तिक पूर्णिमा पर क्षिप्रा नदी में स्नान के बाद पूजन पूरा माना जाता है. लोग नदी में दीपदान भी करते हैं.
पुलिस-प्रशासन का सख़्त इंतज़ाम
इस बड़े स्नान को देखते हुए उज्जैन में पुलिस और ज़िला प्रशासन व्यापक इंतज़ाम करता है. पूरे शहर में ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर घाटों पर स्नान के विशेष इंतज़ाम किए जाते हैं. पुलिस का कड़ा पहरा रहता है और घाटों पर नाव और गोताखोर तैनात किए जाते हैं.
ये है मान्यता
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि कार्तिक मास संपूर्ण रुप से दान धर्म, यम, नियम, संयम का माना जाता है. इस दौरान यम के निमित्त दीपदान, पितरों के निमित्त तर्पण, भगवान विष्णु की पूजन तथा भगवान शिव के अभिषेक की भी मान्यता धर्मशास्त्र और पुराण में बताई जाती है. कार्तिक मास में पितरों के निमित्त तर्पण और सुख पिंडी या त्रिपिंडी श्राद्ध करने की परंपरा है.यह वह पिंड होता है, जो सुख की प्राप्ति के लिए पितरों को दिया जाता है.साथ ही वैदिक ब्राह्मण को यथा श्रद्धा यथा भक्ति अन्नदान पात्रदान, वस्त्रदान करना चाहिए सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया दान विशेष पुण्य तथा धन धान्य की प्राप्ति करवाता है.
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FIRST PUBLISHED : November 27, 2023, 20:48 IST