कार्तिक पूर्णिमा पर आस्था के दीपों से रोशन हुई शिप्रा, श्रद्धालुओं ने किया दीपदान

शुभम मरमट / उज्जैन. कार्तिक मास की पूर्णिमा पर शुक्रवार शाम को दीपदान हुआ. शहर में दिनभर दान-पुण्य और विभिन्न धार्मिक आयोजनों का दौर चलता रहा.कार्तिक पूर्णिमा पर रामघाट पर पर्व स्नान हुआ.श्रद्धालुओं ने शिप्रा स्नान कर दान-पुण्य किया.महीनेभर से कार्तिक स्नान कर रही महिलाओं ने पूर्णिमा स्नान का समापन किया. शाम को राधा-दामोदर एवं तुलसी का पूजन कर दीप दान किया गया. दीपों की रोशनी से शिप्रा का आंचल जगमगा उठा.

कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर सोमवार को शिप्रा नदी किनारा जगमगा उठा, पूर्णिमा पर शिप्रा नदी में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने दीपदान किया, नदी में आटे के दीपक जलाकर प्रवाहित करने की परम्परा है. इसके लिए नदी का किनारा भक्तों की भीड़ से भरा हुआ दिखाई दिया. इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग में कार्तिक पूर्णिमा होने से सोमवार सुबह मोक्षदायिनी शिप्रा में स्नान के लिए श्रद्धालु पहुंचे थे. ग्रामीण अंचलों से आए श्रद्धालुओं ने स्नान कर देव दर्शन किए. हजारों दीपक नदी में जगमग करते हुए दिखाई दिए.

पुराणों मे है उल्लेख
शिप्रा नदी में दीपक छोडने के लिए बाहर से भी लोग पहुंचते है. पुराणों के उल्लेख है कि जो मनुष्य मंदिर और घर के मंदिर में दीप दान करता है, वह सभी सुखों को प्राप्त करता है. पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीप दान करने से माता लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है.

कृतिकाओं के पूजन और दीपदान से मिलता है यह पुण्य लाभ
पंडित राकेश जोशी ने कहा कि ऐसी मान्यता है कि 6 कृतिकाओं शिवा, संभूति, संतति, प्रीति, अनुसुइया तथा क्षमा का पूजन करने श्रद्धा अनुसार दान करने से सुख संपन्नता सहित सुयोग्य संतान की प्राप्ति होती है क्योंकि भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इसी कारण से इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा भी कहा जाता है.इस दिन भगवान भोलेनाथ की पूजा करने से समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं.

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