उत्तरकाशी. उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग से मंगलवार की रात बचाए गए 41 मजदूरों ने 17 दिन बाद खुली हवा में सांस ली और बताया कि आखिर कैसे बीते वो 400 घंटे जो उन्होंने बिना सूरज की रोशनी के बिताए थे. मजदूर अखिलेश सिंह ने बताया कि यह हादसा उसके सामने ही हुआ था. सभी मजदूर बाहर निकलने की तैयारी में थे कि अचानक जोरदार आवाज आई और उनसे 300 मीटर दूर मलबा गिरा. आवाज बहुत तेज हुई थी और इससे सारे मजदूर घबरा गए थे. हालांकि ऐसे हादसे और परिस्थितियों से निपटने के लिए कंपनी ने पहले ट्रेनिंग कराई थी और बताया था कि ऐसे वक्त क्या करना है?
अखिलेश सिंह ने बताया कि हादसे के बाद हमें पाइप के जरिए ही उसकी सूचना बाहर देनी थी. ऐसे में हमने बाहर के लोगों को बताया कि हम लोग फंस चुके हैं. यहां मलबा गिर गया है. वहीं इस सूचना के बाद बाहर वालों ने मदद पहुंचाने की कोशिश शुरू की. सबसे पहले बाहर गिरा मलबा हटाकर पाइप को खोजा गया. पाइप के मिलने पर करीब 18 घंटे बाद उससे ऑक्सीजन भेजी गई. शुरूआती 18 घंटों तक हमारा संपर्क नहीं था और ऐसे में हमें यह भरोसा नहीं था कि हमारे बारे में बाहर के लोगों को सूचना है और वे हमारी खोज कर रहे हैं.
पाइप से मिला जीवन दान, इसी से भेजा गया था सबसे पहले चना और मेवा
अखिलेश सिंह ने बताया कि यह चार इंच का पाइप था और यही हमारे जीवन का सहारा बना. इससे सबसे पहले चना और फिर ड्राई फ्रूट खाने को मिले. सुरंग के अंदर जो भी खाने को आता था उसको लेकर हम सभी आपस में बांट कर खाते थे.
पहले चार इंच, फिर छह इंच का पाइप से मिलता रहा खाना
कभी मुरमुरे आए तो कभी दवाइयां. सुरंग के अंदर भरपूर लाइट थी, इससे हम एक-दूसरे को देख सकते थे. पहले चार इंच वाला पाइप था तो उसकी अपनी सीमा थी. हमें रोटी-चावल नहीं मिल रहा था, लेकिन जब छह इंच वाला पाइप क्लियर हुआ तो फिर अन्य चीजों का आना शुरू हुआ. भरपूर मात्रा में फल, संतरा, सेब, खिचड़ी और दूध सब मिला, कोई कमी नहींं रही. दवाएं भी मिलीं.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2023, 23:55 IST