काजरी के यह खास बेर देश-विदेश में किए जा रहे पसंद, जानिए क्या है इनकी खासियत

कृष्ण कुमार गौड़/जोधपुर. बेर का नाम सुनते ही आपके मुंह में पानी आ जाता है, केंद्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान काजरी में इन दिनों बेर की फसल लहलहा रही है. काजरी के बेर की स्वाद व गुणवत्ता के कारण विभिन्न वैरायटियां मारवाड़ ही नहीं पूरे देश तक पहुंच हो गई है. काजरी में बेर का उत्पादन दिसंबर अंतिम सप्ताह से शुरू हो जाता है और मार्च तक चलता है.

अच्छी बारिश और मौसम से इस बार काजरी के बेर का अच्छा उत्पादन है. इस बार कम सर्दी के बावजूद भी बेर से लदे पेड़ों की डालियां जमीन पर छू रही हैं. इस बार संस्थान में अच्छी फसल हुई है. ऐसे में जो किसान बेर की खेती कर रहे हैं उनको मुनाफा भी अच्छा मिलेगा. खास बात यह है कि बेर नगदी फसल है जो पेड़ से फल उतरते ही बाजार में बिकने के लिए पहुंच जाते हैं. खासकर काजरी के गोला बेर की डिमांड सबसे ज्यादा होती है. इसके अलावा इन दिनों काजरी में बेर की नई किस्म ‘कश्मीरी एप्पल’ भी तैयार की गई है. ऐसे में लाल बेर का स्वाद भी लोग ले सकते हैं.

प्रधान वैज्ञानिक विभागध्यक्ष डॉक्टर धीरजसिंह ने बताया कि बेर ऐसी फसल है जिसे शुरुआत में 3 साल पानी देने के बाद पूरी तरह से बारिश के भरोसे छोड़ दिया जाता है. वहीं बारिश के पानी से ही यह फसल आसानी से प्राप्त की जा सकती है. शुष्क क्षेत्र में रहने वाले किसानों के लिए बेर की खेती काफी फायदेमंद होती है.

36 किस्म के बेर
काजरी में अब तक 36 किस्म का बेर उत्पादन किया जा चुका है. प्रधान धीरज सिंह ने बताया कि हमारे संस्थान की ओर से तैयार की गई फसल में गोला बेर सबसे प्रमुख माना जाता है. वहीं गोला बेर 25 से 45 ग्राम का होता है, जो पौधा 3 वर्ष में फल देना शुरू कर देते हैं. जिनकी एक पौधा की औसत 25 से 30 साल तक होती है. 7 से 8 वर्ष बाद एक पौधा 50 से 80 किलो तक फल देना शुरू कर देते हैं.

50 से 60 रूपए किलो के भाव से बिकते है
यह बेर जिसकी बाजार 50 से 60 रुपये किलो भाव से बिकते है. बाजार में गोल बेर की सबसे ज्यादा डिमांड रहती है. गोला बेर दिसंबर में ही आने लग जाते हैं. उसके दाम भी अच्छे मिलते हैं स्वाद में भी यह गोला बेर बेजोड़ है. इस गोला फल के अलावा से केथली, छुहारा, दण्डन, उमरान, काठा, टिकड़ी , इलायची और थाई एप्पल जनवरी से मार्च तक किसान खेतों में उतारकर बाजार में बेचते हैं.

उन्होंने बताया कि पश्चिमी राजस्थान में किसान बेर की खेती करते हैं जिसे भरपूर मात्रा में उसका उत्पादन किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि बेर की खेती के लिए काजरी किसानों को प्रोत्साहित करता है. बड़ी जोत वाले खेत के किसानों को अलग-अलग हिस्सों में विभिन्न किस्म के बेर लगाने के लिए कहा जाता है. जिससे कम समय में कम खर्चे में किसान अच्छी पैदावार कर रहे हैं.

ऐसे कमा सकते हैं मुनाफा
बेर में होती है रोग प्रतिरोधक क्षमताबेर में विटामिन सी, बी काम्पलेक्स, कार्बोहाइड्रेट सहित कई पोषक तत्व होते हैं. इसमें रोग प्रतिरोधक क्षमता का भी गुण होता है जिसके चलते यह शरीर के घाव को जल्दी भरने में मदद करता है.

यह भी पढ़ें : बनते काम बिगड़ रहे हैं तो कुंडली के इन ग्रहों को करें मजबूत, नए साल पर पूरे होंगे सभी

Tags: Food 18, Jodhpur News, Local18, Rajasthan news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *