कांग्रेस की विचारधारा के करीब बताकर प्रशांत किशोर ने गर्मा दी राजनीति, क्या है रणनीति?

पटना. चुनावी रणनीतिकार और जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने अपनी राजनीतिक विचारधारा को कांग्रेस के करीब बताकर सियासत में बड़ा ट्विस्ट दे दिया है. प्रशांत किशोर ने एक निजी टीवी चैनल से बातचीत में साफ तौर पर कहा, ”मैं कांग्रेस विचारधारा के करीब हूं. मैं कांग्रेस के साथ जा सकता हूं. अब यह कांग्रेस को तय करना है.” दूसरी ओर कांग्रेस की ओर से भी प्रशांत किशोर से इस बयान का स्वागत किया गया है. लेकिन, इसके साथ ही प्रशांत किशोर की ट्विस्टिंग पॉलिटिक्स को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं, कि क्या वाकई में प्रशांत किशोर का झुकाव कांग्रेस की ओर है.

दरअसल, प्रशांत किशोर की राजनीतिक विचारधारा को लेकर कई बार सवाल खड़े होते रहे हैं, क्योंकि प्राय: वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा में कसीदे करते हैं और उनके कार्यशैली की तारीफ करते रहते हैं. कई बार ऐसा भी देखा गया है कि वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कटु आलोचक के तौर पर सामने आए हैं, और लालू यादव के पुत्र डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को अपने निशाने पर लेते रहे हैं. सबसे खास बात यह है कि नीतीश प्रशांत किशोर के निशाने पर कांग्रेस के नेता राहुल गांधी भी रहे हैं और वह उनकी तीखी आलोचना करते रहे हैं.

अब सवाल उठता है कि क्या राहुल गांधी की आलोचना करने वाला कोई व्यक्ति कांग्रेस के करीब हो सकता है? लेकिन सवाल यहां दूसरा है. दरअसल, पीके ने कांग्रेस पार्टी के करीब न होकर उन्होंने स्वयं को कांग्रेस की विचारधारा के करीब बताया है. मतलब साफ है कि अपने इस बयान के जरिए वह भाजपा से दूरी रखने वाले नेता के तौर पर दिखना चाहते हैं और गांधीवादी विचारधारा के दम पर अपनी राजनीति आगे बढ़ना चाहते हैं. बता दें कि पिछले वर्ष 2 अक्टूबर से उन्होंने जब जन सुराज यात्रा अभियान की शुरुआत की थी, तब चंपारण में भीतिहरवा आश्रम, जो महात्मा गांधी की कर्मस्थली रही है, वहां से अपनी पदयात्रा शुरू की थी.

वरिष्ठ पत्रकार अशोक शर्मा कहते हैं कि सरसरी तौर पर देखेंगे तो प्रशांत किशोर की राजनीति में एक तरह का कन्फ्यूजन भी दिखेगा. लेकिन, दूसरी ओर आप गहराई से देखेंगे तो आपको इसमें बेहद ही सधी हुई रणनीति दिखाई देगी. दरअसल, प्रशांत किशोर अपनी पहचान गांधीवादी विचारधारा मानने वाले नेता के तौर पर स्थापित करना चाहते हैं. ऐसा इसलिए भी क्योंकि कांग्रेस का दावा है कि असल में कांग्रेस पार्टी ही गांधीवादी विचारधारा को लेकर चलती है और सर्वधर्म समभाव की बात करती है. प्रशांत किशोर अपनी राजनीति इसी लीक पर आगे बढ़ना चाहते हैं. इसके अंदर की रणनीति यह है कि वह गांधीवादी विचारधारा के नाम के साथ मुसलमानों को अपनी ओर करने की राजनीति भी करना चाहते हैं.

अशोक शर्मा कहते हैं, दरअसल, कांग्रेस की तरफ मुस्लिम जनता का रुझान स्वाभाविक तौर पर रहता है और यह बात हाल के कर्नाटक चुनाव के बाद पांच राज्यों के विधान सभा चुनाव में भी साबित हुई है. ऐसे में प्रशांत किशोर का यह बयान सोच समझ कर दिया हुआ बयान है और इसमें कहीं कोई कंफ्यूजन नहीं है. दरअसल, सीमांचल और चंपारण के इलाके में मुसलमानों की संख्या बहुत अधिक है और सीमांचल में असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी पैठ गहरे तक बना ली है. दूसरा यह कि वहां के बिखराव वाले मुस्लिम वोटों पर राजद की भी दावेदारी है. लेकिन, चंपारण और तिरहुत के क्षेत्र में लगातार दौरा कर रहे प्रशांत किशोर मुसलमान जन मानस को अपनी ओर करना चाहते हैं.

अशोक शर्मा कहते हैं कि बीते एमएलसी एमएलसी चुनाव में आफाक अहमद को जितवा कर प्रशांत किशोर ने साबित कर दिया कि रणनीति के वह मास्टर हैं और मुसलमानों का मत भी वह अपनी और ट्विस्ट करने में सक्षम हैं. ऐसे में प्रशांत किशोर के इस बयान को कन्फ्यूजन या कांग्रेस प्रेम से जोड़ना गलती होगी. वह बेहद ही सधी हुई राजनीति कर रहे हैं और धीरे-धीरे अपनी सियासी पैठ को गहरी करने की रणनीति पर ही चल रहे हैं. अपने उद्देश्य में वह कितना सफल हो पाते हैं यह तो आने वाला समय बताएगा, लेकिन उनकी रणनीति और गांधीवादी राजनीति के नाम पर मुसलमानों का रुझान उनकी तरफ स्वाभाविक रूप से मुड़ने का उनको यकीन है. ऐसे में कहा जा सकता है कि प्रशांत किशोर कंफ्यूज नहीं बेहद ही चतुर राजनीति कर रहे हैं और उनका यह बयान इसी संदर्भ में लिया जाना चाहिए

Tags: 2024 Loksabha Election, Bihar Congress, Prashant Kishor, Prashant Kishore

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