कहानी 200 साल पुराने भूतिया तालाब की, जिसकी तरफ दोपहर बाद जानें से डरते थे लोग

राजकुमार सिंह/वैशाली. पूरी दुनिया को गणतंत्र का पाठ पढ़ाने वाली वैशाली की धरती पर मौजूद एक पोखर लोगों के डर का सबब बना हुआ है. डर भी ऐसा कि दिन के 12 बजे के बाद से ही कोई भी व्यक्ति इस पोखर के आसपास नजर नहीं आता है. करीब 200 वर्ष पुराना यह पोखर वैशाली के पटेढ़ी बेलसर प्रखंड के मिश्रौलिया गांव में मौजूद है.

ग्रामीणों की मानें तो इस पोखर का नाम पहले कुछ और था, लेकिन कुछ घटनाएं ऐसी घटी की तब से इसे भूतहा पोखर का नाम दे दिया गया. यह पोखर असमय हुई कई मौतों का भी गवाह भी है. हालांकि, जिन्होंने पोखर के पास के पेड़ पर मौजूद कथित भूत को अपनी आंखों से देखा, उन पर यकीन कर पाना हमारे और आपके लिए बिल्कुल भी आसान नहीं है.

50 साल पहले चश्मेज ने देखा था भूत

भूत देखने वाले चश्मेज का दावा है कि आज से 50 साल पहले वे जब 12 साल के थे, उस समय वे कहीं जा रहे थे. उनके साथ चार अन्य लोग भी थे. तब उन्हें गांव के ही एक चाचा ने आवाज दी और कहा कि इधर आओ. पास पहुंचने पर उन्होंने कहा कि पेड़ के ऊपर देखो क्या है? इसके बाद चश्मेज ने ऊपर देखा तो पेड़ पर बिना वस्त्र के एक महिला बैठी हुई हाथ हिला रही थी. यह देख सभी लोग वहां से भागना शुरू कर दिए. इसके बाद उस पोखर की ओर हम लोग कभी जाने का साहस भी नहीं जुटा पाए. पोखर पर तो छोड़िए, दोपहर के बाद इस सड़क से भी जाने की कोई व्यक्ति साहस नहीं जुटा पाता है.

गांव में प्रचलित हैं कई कहानियां

गांव के लोग एक दूसरी कहानी भी बताते हैं. लोगों का कहना है कि एक बार एक किसान हल से सड़क किनारे की अपनी खेत जोत रहा था. इसी दौरान अचानक पोखर के पास वाले पेड़ से आवाज आई और किसान की अचानक से मौत हो गई. इस समय एक अन्य व्यक्ति भी सड़क से जा रहे थे. तभी उसकी भी अचानक मौत हो गई थी. ग्रामीण तो यह भी बताते हैं कि इस गांव में एक पहलवान हुआ करता था. वह प्रतिदिन लोगों को चैलेंज करता था, लेकिन एक दिन उसे भी उसी पोखर की ओर से गुजर कर जाना था. जैसे ही वह उस पोखर के समीप पहुंचा कि वह बीमार हो गया. लंबे इलाज के बाद वह ठीक हुआ.

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