कहानी किसान की बेटी मुस्कान की…आर्थिक तंगी…लोगों के ताने सुने, अब पाया यह मुकाम

सत्यम कुमार/भागलपुर : जरूरी नहीं की रोशनी घर में चिरागों से ही हो… घर की बेटियां भी घरों को उजाला करती है. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है नालंदा की रहने वाली मुस्कान सिन्हा ने. दरअसल मुस्कान सिन्हा एक एथलीट है और उसने ईस्ट जॉन कोलकाता में चल रहे एथलीट चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता है. इसको लेकर जब मुस्कान सिन्हा से बात की गई तो उसने बताया कि मुझे बचपन से ही खेलने का शौक था. लेकिन गांव में जब बेटियां खेलने लगती हैं तो लोग इसके बीच में बाधा बनते हैं. तभी एकलव्य सेंटर के बारे में पता चला और मैं 2018 में भागलपुर के एकलव्य सेंटर में दाखिल हो गई. लगातार मेहनत के बाद यह सफलता हाथ लगी.

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किसान की बेटी थी इसलिए उतनी हैसियत नहीं थी

मुस्कान सिन्हा ने बताया कि मैं एक गरीब परिवार से आती हूँ. मेरे पिता छोटे किसान हैं. पिता की हैसियत उस कदर नहीं थी कि मुझे घर से एक बेहतर एथलीट बना सके. तभी जब एकलव्य सेंटर में भर्ती हुई तो सरकार की तरफ से कई सुविधा मिली और मैं इस मुकाम को हासिल कर पाई. इसके लिए मैंने घर, पर्व त्योहार सब भुला दिया. मुझे लगा की अब नहीं तो कभी भी नहीं. इसको मंत्र बनाकर लगातार फील्ड में पसीना बहाया. आज़ सबके आशीर्वाद से मेरा चयन हुआ है.

मुस्कान 5 सालों के दरमियान में मात्र तीन बार घर गई

सबसे खास बात जब मुस्कान के कोच राजीव लोचन से बात की गई तो उन्होंने एक हैरान कर देने वाली बात बताई. उन्होंने बताया कि मुस्कान 5 सालों के दरमियान में मात्र तीन बार घर गई है. उन्होंने बताया कि कोई पर्व हो या कुछ भी हो लेकिन घर नहीं गई. सब दिन मेहनत करती रही. अभी कोलकाता में हो रहे ईस्ट एथिलीट चेम्पियनशिप में कांस्य पदक हासिल की. इसमें मैं 800 व 1500 मीटर दौड़ में जीत हासिल की. इसके लिए 5 सालों से कड़ी मेहनत कर रही थी. इसलिए इस मुकाम को हासिल कर पाई.

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