जैसे-जैसे विवाद बढ़ता जा रहा है और राजनीतिक जुबानी जंग बढ़ती जा रही है। ऐसे में पूरे विवाद को समझते हुए आइए जानते है कि सनातन की असल परिभाषा क्या है। प्राचीन से लेकर अर्वाचीन तक इसको लेकर क्या हैं विचार।
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि, सनातन धर्म पर अपनी टिप्पणी के बाद विवादों में हैं। उन्होंने इसकी तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से की और इसके उन्मूलन की मांग की। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ उनकी टिप्पणियों पर नाराज हो गई है, जिन्होंने उदयनिधि की टिप्पणियों पर कड़ा विरोध जताया है और विपक्षी गुट इंडिया पर नफरत, जहर फैलाने और देश की संस्कृति पर हमला करने का आरोप लगाया है। उदयनिधि की पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम ने अपने उत्तराधिकारी का बचाव करते हुए कहा है कि उनके बयान को ”तोड़ मरोड़कर पेश” किया गया है, जबकि इंडिया ब्लॉक के कई नेताओं ने कहा कि नेताओं को ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। जैसे-जैसे विवाद बढ़ता जा रहा है और राजनीतिक जुबानी जंग बढ़ती जा रही है। ऐसे में पूरे विवाद को समझते हुए आइए जानते है कि सनातन की असल परिभाषा क्या है। प्राचीन से लेकर अर्वाचीन तक इसको लेकर क्या हैं विचार।
उदयनिधि ने क्या टिप्पणी की जिसपर हंगामा मचा
तमिलनाडु प्रोग्रेसिव राइटर्स एंड आर्टिस्ट एसोसिएशन की एक बैठक को संबोधित करते हुए उदयनिधि ने कहा कि सनातन समानता और सामाजिक न्याय के खिलाफ है। युवा मंत्री ने आरोप लगाया कि सनातन ने लोगों को जाति के आधार पर बांटा है। उन्होंने तर्क दिया कि यह तर्क स्वाभाविक रूप से प्रतिगामी है, लोगों को जाति और लिंग के आधार पर विभाजित करता है और मूल रूप से समानता और सामाजिक न्याय का विरोध करता है। इसके बाद उन्होंने कथित तौर पर इसकी तुलना “डेंगू, मलेरिया और कोविड -19 जैसी बीमारियों से की और इसके उन्मूलन का आह्वान किया। उनकी टिप्पणी के तुरंत बाद, तमिलनाडु भाजपा प्रमुख के अन्नामलाई ने उदयनिधि पर सनातन धर्म का पालन करने वाली भारत की 80 प्रतिशत आबादी के नरसंहार का आह्वान करने का आरोप लगाया।
बीजेपी ने बताया सनातन का अपमान
गृह मंत्री अमित शाह ने इंडिया ब्लॉक पर वोट बैंक और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए सनातन धर्म का “अपमान” करने का आरोप लगाया, जिसका डीएमके एक हिस्सा है। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लोगों से विपक्षी समूह को खारिज करने की अपील की, जो नफरत, जहर फैला रहा है और देश की संस्कृति और परंपरा पर हमला कर रहा है। भाजपा ने आरोप लगाया कि यह स्पष्ट है कि हिंदू धर्म का पूर्ण उन्मूलन” विपक्षी गठबंधन का प्राथमिक एजेंडा है। भगवा पार्टी ने द्रमुक नेता की टिप्पणी को “घृणास्पद भाषण” बताते हुए सुप्रीम कोर्ट से उनके खिलाफ उचित कार्रवाई करने का आग्रह किया। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी उदयनिधि और इंडिया ब्लॉक पर निशाना साधते हुए तमिलनाडु कांग्रेस प्रमुख केएस अलागिरी का एक पुराना वीडियो साझा करते हुए कहा कि राज्य में गठबंधन का उद्देश्य सनातन धर्म को नष्ट करना है।
सनातन धर्म क्या है
ये तो वो बातें थी जो अलग-अलग दलों ने उदयनिधि के बायन के विरोध में कही। अब असल मुद्दे पर आते हैं कि सनातन का मतलब क्या है। सनातन धर्म एक शब्द है जो हिंदू धर्म के शाश्वत सत्य को दर्शाता है। इस वाक्यांश की जड़ें प्राचीन संस्कृत में खोजी जा सकती हैं। सनातन का अर्थ है वह जो आरंभ या अंत से रहित है या अनन्त है। धर्म, जिसका अंग्रेजी में कोई वास्तविक प्रत्यक्ष अनुवाद नहीं है, धृ शब्द से आया है जिसका अनुवाद मोटे तौर पर एक साथ रखना या बनाए रखना के रूप में किया जा सकता है। धर्म की व्याख्या अक्सर प्राकृतिक कानून के रूप में की जाती है। सनातन धर्म समग्र रूप से जीने के प्राकृतिक और शाश्वत तरीके में अनुवादित है। इसे व्यापक रूप से आधुनिक हिंदू धर्म का वर्णन करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला मूल शब्द माना जाता है। इस्कॉन के अनुसार, सनातन धर्म वे कर्तव्य हैं जो व्यक्ति की आत्मा के रूप में आध्यात्मिक पहचान को ध्यान में रखते हैं और इस प्रकार सभी के लिए समान हैं। एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के अनुसार, सनातन धर्म में ईमानदारी, जीवित प्राणियों को चोट पहुंचाने से बचना, पवित्रता, सद्भावना, दया, धैर्य, सहनशीलता, आत्म-संयम, उदारता और तपस्या जैसे गुण शामिल हैं। धार्मिक विशेषज्ञ ध्यान देते हैं कि इस संहिता का पालन करने से व्यक्ति मोक्ष, आध्यात्मिक मुक्ति, आत्म-ज्ञान और आत्मज्ञान की स्थिति तक पहुँच सकता है। सनातन धर्म की शिक्षाएँ पवित्र वैदिक ग्रंथों में दी गई हैं। यह महाभारत में भी शामिल है जिसमें 1,10,000 चार पंक्तियों वाले छंद हैं और रामायण में 24,000 दोहे हैं। वैदिक धर्मग्रंथों से युक्त सभी पवित्र पुस्तकों में से भगवद गीता के पवित्र पाठ को इसके सबसे आवश्यक रहस्योद्घाटन वाला माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह अवधारणा सबसे पहले भगवान कृष्ण द्वारा बोली गई थी और अथर्ववेद में दर्ज की गई थी। भगवद गीता भी इस बात की पुष्टि करती है कि भगवान कृष्ण ने लाखों साल पहले सूर्य के देवता विवस्वान को सनातन धर्म के विज्ञान का निर्देश दिया था। कुरूक्षेत्र के युद्धक्षेत्र में एक बार फिर कृष्ण ने अर्जुन को यही निर्देश दिया।
सुप्रीम कोर्ट ने सनातन को लेकर क्या कहा था
1995 में सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए हिंदुत्व को “जीवन का एक तरीका, न कि धर्म” परिभाषित किया था। सुप्रीम कोर्ट 1990 की जिस याचिका पर विचार कर रही थी वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों से संबंधित था। जहां शिवसेना और भाजपा उम्मीदवारों ने कथित तौर पर बाल ठाकरे और प्रमोद महाजन के दो भाषणों का इस्तेमाल हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र के नाम पर वोट मांगने के लिए किया था। 1990 में शिवसेना और बीजेपी के कई विजयी उम्मीदवारों के खिलाफ याचिकाएँ दायर की गईं और बॉम्बे हाई कोर्ट ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीश सैम पिरोज भरूचा ने मामले में कहा कि आमतौर पर हिदुत्व को जीवन जीने का एक तरीका या मन की स्थिति के रूप में समझा जाता है और इसे धार्मिक हिंदू कट्टरवाद के साथ नहीं समझा जा सकता है।
सावरकर की नजरों में सनातन ही हिंदुत्व की पहचान
साल 1909 में जब गांधी लंदन में थे और एक शाम वो सावरकर से मिले। इस दौरान सावरकर ने उनके सामने सनातन, हिंदू और हिंदुत्व के विषय में विचार रखें। वहीं बातें गांधी के जेहन में एक किताब की शक्ल लेने लगी और महात्मा गांधी ने हिंद स्वराज्य नाम से पुस्तक लिखी। सावरकर के कई विचारों में ये आया है कि सनातन ही हिंदुत्व की पहचान है। सावरकर के वैचारिक दृष्टिकोण को दर्शाती पुस्तक 1923 में ‘एसेंसिएल्स ऑफ हिंदुत्व’ शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। 1928 में इसका प्रकाशन दूसरे शीर्षक ‘हिंदुत्व: हू इज ए हिंदू’ से हुआ। पुस्तक के टाइटल और लेखक अलग होने की वजह थी कि सावरकर को जेल में लेखन की आजादी नहीं थी। सावरकर ने ‘हिंदुत्व’ शब्द का प्रयोग अपनी विचारधारा की रूपरेखा बनाने हेतु किया। उनकी इस पुस्तक के बाद ‘हिंदुत्व’ सामान्य शब्द न रहकर विचारधारा से जुड़ गया। सावरकर ने हिंदू जीवन-पद्धति को अन्य जीवन पद्धतियों से अलग और विशिष्ट रूप में प्रस्तुत किय।
खुद को सनातनी हिंदू मानते थे गांधी
गांधीजी एक सनातनी हिंदू थे। उनकी राजनीति उनके सनातन धर्म पर आधारित थी। वह हिंदू समाज के सामाजिक ताने-बाने को एकजुट रखने के लिए अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार थे। उन्होंने छुआछूत के अपराध और पाप के प्रति हिंदू विवेक को जागृत करने के लिए सबसे बड़ा जन अभियान चलाया। उन्होंने धर्मांतरण के खिलाफ लड़ाई लड़ी। महात्मा गांधी ने यंग इंडिया के 1921 के एक अंक में लिखा था कि मैं अपने को सनातनी हिंदू इसलिए कहता हूं क्योंकि मैं वेदों, उपनिषदों, पुराणो और हिंदू धर्मग्रंथों के नाम से प्रचलित सारे साहित्य में विश्वास रखता हूं और इसीलिए अवतारों और पुनजर्न्म में भी।
सनातन धर्म को लेकर संघ और गांधी के विचार
वरिष्ठ पत्रकार एवं लेखर मनोज जोशी ने अपनी पुस्तक हिंदुत्व और गांधी में हिंदू धर्म को लेकर गांधी के विचारों की पड़ताल करने के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ओर से हिंदुत्व पर रखे गए दृष्टिकोण को भी सामने रखा है। गांधी के हिन्दुत्व और आरएसएस के हिंदुत्व में उन्होंने एक समान देखा है, जिसे उन्होंने अपने पाठकों के सामने तक्कों एवं तथ्यों के साथ रखा है। हिंदू धर्म के संदर्भ में कुछ बातें स्वयं महात्मा गांधी ने 7 जनवरी 1926 को नवजीवन में लिखी थी। इसका उल्लेख मनोज जोशी की पुत्सक में किया गया है। महात्मा गांधी ने लिखा कि जब जब इस धर्म पर संकट आया। तब तब हिंदू धर्मावलंबियों ने तपस्या की है। हिंदुत्व का कोई और रूप नहीं है। हिंदू धर्म एक ही है। जब गांधीजी संघ के एक शिविर में आए, संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार से मिले और द्वितीय सरसंघचालक माधव सदाशिवराव गोलवलकर उपाख्य ‘गुरुजी’ के साथ भी उनका संवाद हुआ है।
तिलक का हिदुत्व
तिलक ने 1884 में पहली बार हिंदुइज़्म से अलग हिंदुत्व की परिकल्पना पेश की। उन्होंने बार-बार ब्रिटिश सरकार से अपील की कि धार्मिक तटस्थता की नीति त्यागकर जातीय प्रतिबंधों को कठोरता से लागू करे। जब ब्रिटिश सरकार ने उनके आवेदनों पर ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने देशी राजाओं का रुख़ किया। उन्होंने कोल्हापुर के युवा महाराज छत्रपति साहू जी को सलाह दी कि वह हिंदुत्व पर गर्व को लेकर गंभीरता से काम करें और वर्णाश्रम धर्म को कड़ाई से लागू करें।
शिकागो तक ले गए विवेकानंद
विवेकानंद का जब भी कभी जिक्र होता है तो अमेरिका के शिकागो की धर्म संसद में साल 1893 में दिए उनके भाषण का जिक्र जरूर होता है। यही वो भाषण है जिसने पूरी दुनिया के सामने भारत को एक मजबूत छवि के साथ पेश किया। विवेकानंजद ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए कहा था कि अमेरिकी भाईयों और बहनों, आपने जिस स्नेह के साथ मेरा स्वागत किया है उससे मेरा दिल भर आया है। मैं दुनिया की सबसे पुरानी संत परंपरा और सभी धर्मों की जननी की तरफ से धन्यवाद देता हूं। सभी जातियों और संप्रदायों के लाखों करोड़ों हिंदुओं की तरफ से आपका आभार व्यक्त करता हूं। मैं इस मंच पर बोलने वाले कुछ वक्ताओं को भी धन्यवाद करना चाहता हूं जिन्होंने ये जाहिर किया कि दुनिया में सहिष्णुता का विचार पूरब के देशों से फैला। मुझे गर्व है कि मैं उस धर्म से हूं जिसने दुनिया को सहिष्णुता और सार्वभौमिक स्वीकृति का पाठ पढ़ाया है।