कल होगा सत्ता परिवर्तन,हरि को जिम्मेदारी सौंप कैलाश पर्वत पर चले जाएंगे महादेव

उज्जैन. कल शनिवार को हरि का हर से मिलन होगा. हर सत्ता सौंपने हरि के पास जाएंगे. मौका उत्सव का होगा लेकिन आतिशबाजी पर इस बार बैन रहेगा. हम बात कर रहे हैं महाकाल की नगरी उज्जैन की. हिंदू परंपरा के मुताबिक इस संसार के पालनकर्ता विष्णु यानि हरि देवशयनी एकादशी के बाद हर यानि महादेव को जिम्मेदारी सौंपकर विश्राम के लिए चले जाते हैं. देवउठनी एकादशी के बाद हर उन्हें वापस सत्ता सौंप देते हैं. महाकाल की नगरी में ये परंपरा उत्साह से निभायी जाती है.

कल देर रात भगवान महाकाल अपनी चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर द्वारकाधीश से मिलने पहुंचेंगे और फिर होगा हरि और हर का मिलन. महाकाल मंदिर से लेकर गोपाल मंदिर तक रात 12:00 बजे श्रद्धालुओं में इतना जोश रहता है कि वह भगवान की पालकी का आतिशबाजी कर भव्य स्वागत करते हैं. जैसे ही बाबा महाकाल की पालकी गोपाल मंदिर पहुंचती है भगवान विष्णु और बाबा महाकाल के पंडित पुजारी वार्तालाप के जरिए पूरी पृथ्वी का लेखा-जोखा देते हैं. उसके बाद भगवान विष्णु की तुलसी की माला भगवान शिव को पहना दी जाती है और भगवान महाकाल की बेलपत्र की माला भगवान विष्णु को अर्पित की जाती है. इसके बाद भगवान शिव कैलाश पर्वत पर सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौंप कर चले जाते हैं. विष्णु जी इस पृथ्वी का भार संभालते हैं. देवउठनी ग्यारस से लेकर देवशयनी ग्यारस तक सत्ता विष्णु के हाथ में रहती है.

कैलाश पर्वत पर लौट जाएंगे महादेव
महाकाल मंदिर से शनिवार 25 नवंबर बैकुण्ठ चतुर्दर्शी को, रात्रि 11.00 बजे हरिहर मिलन की सवारी निकाली जाएगी. मान्यता है  कि, देवउठनी एकादशी के बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर श्री हर (श्री महाकालेश्वर भगवान जी) श्री हरि (श्री द्वारकाधीश जी) को सृष्टि का भार सौंपते हैं. देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु पाताल लोक में राजा बलि के यहां विश्राम करने जाते हैं. उस समय पृथ्वी लोक की सत्ता भगवान देवाधिदेव महादेव के पास होती है. बैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव यह सत्ता पुनः श्री विष्णु को सौंप कर कैलाश पर्वत पर तपस्या के लिए लौट जाते हैं. इस दिवस  को बैकुंठ चतुर्दशी,  हरि-हर भेंट भी कहते हैं.

ये भी पढ़ें- शरारती छात्र ने स्कूल बस में फोड़ा बम, प्रिसिंपल ने बीच रास्ते में डंडे से पीटा, थाने पहुंची शिकायत

इस तरह होगा हरि का हर से मिलन
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप कुमार सोनी ने  बताया परम्परा अनुसार श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप से रात्रि 11 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की पालकी धूम-धाम से गुदरी चौराहा, पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी. वहां पूजन के दौरान बाबा श्री महाकालेश्वर  बिल्व पत्र की माला गोपाल जी को भेंट करेंगे एवं बैकुण्ठनाथ अर्थात श्री हरि तुलसी की माला बाबा श्री महाकाल को भेट करेंगे. पूजन के बाद श्री महाकालेश्वर की सवारी पुन: इसी मार्ग से श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस आएगी. सवारी के साथ मंदिर के पुजारी, पुरोहित, कर्मचारी, अधिकारी सम्मिलित होंगे.

MP : कल होगा सत्ता परिवर्तन, हरि को जिम्मेदारी सौंप कैलाश पर्वत लौट जाएंगे महादेव, आतिशबाजी पर रोक

आतिशबाजी और हिंगोट पर पूरा प्रतिबंध
इस पूरे समारोह के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट के उपयोग पर पूरी तरह रोक रहेगी. उज्जैन कलेक्टर और जिला दण्डाधिकारी कुमार पुरुषोत्तम ने 25 नवम्बर शनिवार को होने वाले हरिहर मिलन समारोह के दौरान भगवान महाकालेश्वर की सवारी में आतिशबाजी और हिंगोट के उपयोग पर रोक का आदेश जारी कर दिया है. यदि किसी ने इस आदेश का उल्लंघन किया तो उसके विरूद्ध नियमानुसार वैधानिक कार्रवाई की जाएगी.

Tags: Ujjain mahakal mandir, Ujjain news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *