कल महाअष्टमी पर करें महागौरी का पूजन, होंगे 5 महालाभ! जानें महत्व, विधि

विकाश पाण्डेय/सतना: नवरात्रि की अष्टमी का बड़ा महत्व है, इसलिए इस अष्टमी को महाअष्टमी भी कहा जाता है. इस दिन माता महागौरी की उपासना की जाती है. अष्टमी का दिन मां के भक्तों के लिए महत्त्वपूर्ण होता है. इस दिन अधिकतर घरों में अष्टमी की पूजा होती है.

मनुष्य ही नहीं देव, दानव, राक्षस, गंधर्व, नाग, यक्ष, किन्नर आदि भी अष्टमी पर मां का पूजन करते हैं. मान्यता है इस दिन जो भी भक्त मां महागौरी की अराधना करता है, वह सुख, वैभव, धन, धान्य से समृद्ध होता है. साथ ही रोग, व्याधि, भय, पीड़ा से मुक्त होता है. मां महागैरी का यह दिन विशेष है.

मां का स्वरूप
आचार्य ने बताया कि मां महागौरी का स्वरूप गौर वर्ण है. मां करुणा वरुणालय हैं. मां सहज और सरल हैं. इनकी उपमा शंख, चंद्र और कुंद के फूल से दी गई है. इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद हैं, इसलिए उन्हें श्वेताम्बरधरा कहा गया है. 4 भुजाएं हैं और वाहन वृषभ है. इसलिए वृषारूढ़ा भी कहा जाता है.

महागौरी को रुचिकर भोग, पुष्प, रंग
मां महागौरी करुणावरुणालय हैं. मां का रूप सौम्य है. मां को गुलाबी, जमुनी, श्वेत, रंग अत्यन्त प्रिय है. यह प्रेम का प्रतीक है. मां को मोगरे और रातरानी का पुष्प अत्यन्त प्रिय है. माता को भोग में पूरी, हलवा और नारियल से बने खाद्य पदार्थ सहित काले चने का भोग अवश्य लगाएं. मां को यह भोग अत्यन्त प्रिय है.

महागौरी पूजन मंत्र
1- सिद्ध मंत्र – श्रीं क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
2-सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि। सेव्यामाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥
3- या देवी सर्वभू‍तेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां की पूजन विधि
प्रातःकाल उठ कर स्नान, ध्यान कर साफ सुथरे वस्त्र पहन लीजिए. तत्पश्चात माता की स्तुति, पूजन का सभी सामान रख लें. सब से पहले मां की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान करवाएं. मां को श्वेत वस्त्र अर्पित करें, कुमकुम, अक्षत और पुष्प अर्पित करें और भोग चढ़ाएं. आरती कर के मां से पूजा में हुई भूल के लिए क्षमा मांगें.

महागौरी के पूजन के लाभ
1- महागौरी के पूजन से समस्त मनोकामना पूर्ण होती है.
2- महागौरी के पूजन से रोग व्याधि सभी दूर होते हैं.
3- महागौरी सुहाग की रक्षा करती हैं. इसी कारण सुहागन इनकी आराधना करती हैं.
4- पूजन से सोमचक्र जाग्रत होता है, जिससे विशेष शक्तियां प्राप्त होती हैं.
5- तप, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है.

(NOTE: इस खबर में दी गई सभी जानकारियां और तथ्य मान्यताओं के आधार पर हैं. NEWS18 LOCAL किसी भी तथ्य की पुष्टि नहीं करता है.)

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