कल चलेगी शीतलहर या दर्शनदेंगे सूर्यदेव,जानें मौसमविभाग कैसे करता है भविष्यवाणी

अनुज गौतम / सागर. दिन का अधिकतम तापमान कितना रहा, रात में पारा कितना धराशाई हुआ, चिलचिलाती धूप कितने समय तक निकली, वायु में नमी और आद्रता कितनी रही, हवाएं किस दिशा में चली, 24 घंटे में बारिश कितनी हुई है. इस तरह की जानकारी पल भर में आपके पास होती है, जब चाहे तब आप इनका पता कर लेते हैं. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मौसम विभाग वातावरण में होने वाली पल-पल की जानकारी आप तक कैसे पहुंचाता है.

दरअसल, मौसम विभाग पिछले 149 सालों से मौसम को लेकर काम कर रहा है. इसमें कई तरह के यंत्र उपयोग किए जाते हैं. पहले कुछ उपकरणों में फार्मूले लगाए जाते थे. लेकिन अब कुछ यंत्र ऑटोमेटिक हो गए हैं. जो वातावरण की हर एक गतिविधि को ऑब्जर्व करते हैं और डिजिटल उन्हें शो कर देते हैं तो ऐसे ही कुछ चीजों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं. की मौसम विभाग आखिर काम कैसे करता है.

इन यंत्रों से मौसम के वातावरण को मापते हैं
सागर में संभाग स्तर की मौसम वेधशाला है जहां थर्मोमीटर की मदद से अधिकतम और न्यूनतम तापमान मापा जाता, नमी और आद्रता को देखा जाता है. इसमें चार थर्मामीटर का प्रयोग होता है. जिसे एकल स्टीबेसन स्क्रीन कहते हैं.आने वाले ऑटोमेटिक तापमान को ऑब्जर्व करने वाले यंत्र को डबल स्टीबेसन स्क्रीन कहते हैं. बारिश को मापने के लिए साधारण वर्षा मापी यंत्र होता है. इसमें जमीन के अंदर एक कीपर रखते हैं. ऊपर से एक साढे तीन इंच गोलाई वाला खुला केन नुमा आकृति का कीपर होता है. इसमें जितनी भी पानी की बूंद गिरती है बाय नीचे इकट्ठी हो जाती हैं और फिर इन्हें एक्सपर्ट के द्वारा निकालकर यंत्र से माप लिया जाता है की वर्षा कितनी हुई है. इसी वर्षा मापी यंत्र कहते हैं.

थर्मामीटर से नापा जाता है जमीन का तापमान
वहीं ऑटोमेटिक यानी कि सेल्फ रिकॉर्डिंग रेन गेज में जितनी बूंद गिरती है तो यह यंत्र खुद बता देता है कि कितनी एमएम बारिश हुई है. ऐसे ही वातावरण की कार्बन को पता करने के लिए मशीन होती है. हवा की गति मापने के लिए एनीमोमीटर, हवा की दिशा के लिए विंडवेन, वाष्पीकरण की दर को मापने के लिए पेन-इवेपोरीमीटर, सनसाइन रिकॉर्डर, जमीन का तापमान नापने के लिए थर्मामीटर आदि का प्रयोग किया जाता है. इन्हीं से आधे घंटे से लेकर एक हफ्ते तक क्या होने वाला है इसका भी अनुमान निकालकर मौसम विभाग के द्वारा समय-समय पर चेतावनी जारी की जाती है.

मौसम विभाग के 149 साल पूरे हो गए
बता दें कि सागर मौसम विभाग के अजय कुमार राय और दिलीप कुमार ने कहा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग मौसम विज्ञान ने अपने सेवा के 150 वें वर्ष में प्रवेश किया है. 15 जनवरी 1875 में स्थापना के साथ भारत मौसम विज्ञान विभाग राष्ट्र को सटीक मौसम पूर्वानुमान, चेतावनियां और जलवायु जानकारी प्रदान करता आया है. इस मौके पर मौसम कार्यालय सागर में एक प्रदर्शनी भी आयोजित की गई है. जिसमें शहर के विभिन स्कूल के बच्चें पहुंच कर मौसम विज्ञान के बारे में विभिन्न जानकारियां प्राप्त की.

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