रामकुमार नायक, रायपुर : देवों के देव महादेव का पावन पर्व महाशिवरात्रि 8 मार्च को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा अर्चना करने से सारी मनोकामनाएं पूरी होती है. भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती के विवाह उत्सव को महाशिवरात्रि पर्व के रूप में मनाते हैं. छत्तीसगढ़ में भगवान भोलेनाथ का कई ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर है. जहां आप इस महाशिवरात्रि पर्व पर पूजा अर्चना कर सकते हैं. इन प्राचीन मंदिरों में राजधानी रायपुर के खारुन तट पर स्थित बाबा हटकेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है. इस जगह को लोग महादेव घाट के नाम से जानते हैं. आज हम आपको इस मंदिर के ऐतिहासिक महत्व के बारे में बताने वाले हैं.
बाबा हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर के महंत सुरेश गिरी गोस्वामी जी ने बताया कि रायपुर के हटकेश्वर नाथ महादेव मंदिर का इतिहास बहुत प्राचीन है. श्रीमद् भागवत के अनुसार, भगवान शिव जी यहां स्वयंभू स्वरूप में पाताल लोक से प्रकट हुए अपने पंचायत देवताओं के साथ. बाबा भोलेनाथ राजधानी रायपुर के खारुन नदी तट पर विराजमान है. यहां कलचुरी शासन 1428 ईस्वी में राजा ब्रह्म देव शिकार के लिए आए हुए थे.
राजा जब शिकार के लिए आगे बढ़ते नदी के तट पर आए तो अचानक घोड़े के पैर में मोच लगने के कारण वे गिर पड़े फिर राजा ने मंत्रियों से कहा कि यहां पर कुछ है. फिर मंत्रियों ने डंगालियों को हटाकर देखा तो वहां शिव पिंड था. शिव पिंड देखकर राजा ने खारुन नदी से जल लाकर अर्पित किया साथ ही जंगल में जो भी पुष्प, फल मिले उसे भी चढ़ाया. राजा ने भगवान भोलेनाथ के समक्ष पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिए कामना की और कहा कि अगर मेरे घर पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है तो छह माह में बनवाऊंगा. पुष्कर में जो मेला होता है कार्तिक, पूर्णिमा और शिवरात्रि वह प्रारंभ करवाऊंगा फिर कुछ वर्षों में राजा ब्रम्हदेव के यहां पुत्र का जन्म होता है.
बाबा हटकेश्वर नाथ विराजमान
पुत्र रत्न की प्राप्ति के बाद उन्होंने बाजे गाजे के साथ इस स्थान पर आकर पूजा अर्चना किए और छह माह में मंदिर निर्माण किया गया. तब से यहां कार्तिक पूर्णिमा और शिवरात्रि में मेले का आयोजन होता है. महाशिवरात्रि में शिव भक्तों का तांता लगा रहता है.
छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के अलावा महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, ओड़िशा राज्य के भक्त भगवान हटकेश्वर नाथ महादेव का दर्शन करने आते हैं. साथ ही साल भर को 2 – 4 विदेशी पर्यटक भी दर्शन करने आते हैं. मंदिर का वातावरणबेहद ही मनमोहक है. खारुन नदी के तट पर बाबा हटकेश्वर नाथ विराजमान हैं. पास में ही भोलेनाथ के प्रिय जागृत श्मशान घाट है.
.
Tags: Chhattisagrh news, Local18, Religion 18
FIRST PUBLISHED : March 5, 2024, 17:56 IST