कलचुरी शासन ने बनवाया था ये शिव मंदिर, पुरातत्व विभाग भी रह गए हैरान, VIDEO

अर्पित बड़कुल, दमोह:- मध्य प्रदेश के दमोह जिले की धरा पर आज भी करीब 10वीं से 11वीं शताब्दी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं, जहां विराजमान देवी-देवताओं की सालों पुरानी प्रतिमाओं के अतिशय अक्सर देखने को मिलते हैं. ये प्राचीन प्रतिमाएं हमारे गौरवशाली संस्कृति और परम्परा की गाथा को खुद ही बयां करती हैं. बीते दिनों भोपाल पुरातत्व विभाग की टीम जिले के नोहटा ग्राम पहुची थी, जहां टीम के सदस्यों ने नोहलेश्वर मंदिर में विराजमान भगवान शिवजी के दर्शन पर मंदिर परिसर का निरीक्षण किया. इसके बाद नोहटा थाना के नजदीक एक पुरानी बिल्डिंग स्थित है, जहां स्थानीय संग्रहालय बनाने की योजना पर कार्य किया जाना है.

कलचुरी शासन काल का दूसरा नमूना है कोडल का शिव मंदिर…
दरअसल दमोह जिला मुख्यालय से लगभग 59 किमी दूर तेंदूखेड़ा ब्लाक के कोड़ल गांव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जो हजारों साल पुरानी है. इतिहासकारों की मानें, तो इस मन्दिर का निर्माण 950 ईसवी में कलचुरी कालीन शासकों ने करवाया था, जो वर्तमान में पुरातत्व विभाग के अधीन है. इस मंदिर का होना इस बात का धूतक है कि कलचुरी शासक शिव भक्त रहे होंगे और जिले में अन्य स्थानों पर भगवान शिव की प्रतिमाओं का पाया जाना भी कल्चरी शासन काल की ओर ही इशारा करता है.

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बड़गुवा में मिले सालो पुराने पुरातत्व अवशेष
भोपाल पुरात्तवीय अधिकारी रमेश यादव ने जानकारी देते हुए बताया कि दमोह जिले में जितने भी अमूल्य धरोहर वाले क्षेत्र मौजूद हैं, उन इलाकों के निरीक्षण के लिए हमारी टीम निकली हुई थी. इसकी शुरुआत हमने नोहटा ग्राम के नोहलेश्वर मंदिर से की. यहां थाना परिसर के पास एक पुराना भवन है, जिसे स्थानीय पुरात्तव संग्रहालय बनाने की योजना पर कार्य किया जा रहा है. इसके बाद हमारी टीम बड़गुवा गांव पहुची, जहां करीब 10 वीं शताब्दी के आस-पास के 2 से 3 प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले हैं. अब इन्हें संरक्षित करने का काम किया जाएगा. वहीं डूमर गांव में स्थित कल्चुरी शासकों के दौरान बनाए गए हनुमान मंदिर का निरीक्षण किया गया. किसी समय उस स्थान के आस-पास 6 से 7 छोटे-छोटे मन्दिर बने हुए थे, जो 9वीं या 10वीं शताब्दी के थे. उन मंदिरों के अवशेषों से नवीन मन्दिर बनाया गया है, जिस कारण पुरातत्व विभाग वहां किसी भी प्रकार का कार्य कराने में असमर्थ हैं.

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