कर लें कड़ाके की ठंड की तैयारी! दिल्ली में 10 डिग्री पहुंचेगा तापमान, यहां आज बरसेंगे बादल

हाइलाइट्स

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश संभव है.
केरल, लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में हल्की बारिश हो सकती है.

नई दिल्लीः उत्तर भारत सहित देश के कई हिस्सों में मौसम का मिजाज बदला हुआ है. एक तरफ जहां दक्षिण भारत के अधिकांश राज्यों में बीते कुछ दिनों से लगातार बारिश हो रही है तो वहीं पहाड़ी इलाकों में हल्की बर्फबारी का सिलसिला जारी है. इसके अलावा उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में मौसम शुष्क बना हुआ है. हालांकि अब मौसम में भारी बदलाव देखने को मिल सकता है. राजधानी दिल्ली में आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट दर्ज की जा सकती है.

इसके अलावा मौसम विभाग ने पूर्वोत्तर भारत राज्यों में असम, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर में भारी बारिश की संभावना जताई गई है. 23 नवंबर को दिल्ली का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री तक पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है. वहीं उत्तर प्रदेश में इस हफ्ते न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस गिरकर 14 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाएगा. उत्तराखंड में अगले एक हफ्ते तक तापमान 11 डिग्री रह सकता है. इसके अलावा पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी के बाद खूबसूरत नजारे देखने को मिल रहे हैं.

वहीं आज के मौसम की बात करें तो स्काईमेट वेदर की रिपोर्ट के मुताबिक आज अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश संभव है. केरल, लक्षद्वीप और तटीय कर्नाटक में हल्की बारिश हो सकती है. गिलगित-बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद और जम्मू-कश्मीर में अलग-अलग स्थानों पर हल्की बारिश संभव है. 2 दिनों के बाद उत्तर पश्चिम और मध्य भारत के कुछ हिस्सों में दिन और रात के तापमान में धीरे-धीरे गिरावट आने की उम्मीद है.

उत्तर पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्से अभी भी नवंबर की सामान्य सर्दियों का इंतजार कर रहे हैं. राजस्थान में दिन का तापमान 30 डिग्री से नीचे नहीं गया है. राजस्थान में अधिकतम तापमान 31 से 34 डिग्री के बीच है. न्यूनतम तापमान भी 18 से 24 डिग्री के बीच है. रबी फसलों की बुआई के लिए सर्दी की समय पर शुरुआत महत्वपूर्ण है.

Weather Update: मौसम का बदला मिजाज! कर लें कड़ाके की ठंड की तैयारी! दिल्ली में 10 डिग्री पहुंचेगा तापमान, यहां आज बरसेंगे बादल

सर्दियों में देरी का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ की कम तीव्रता और आवृत्ति को माना जा सकता है. हमने पिछले महीने में पश्चिमी हिमालय के पास कोई मजबूत पश्चिमी विक्षोभ नहीं देखा है. पश्चिमी विक्षोभ के अभाव में पहाड़ों पर कोई खास बर्फबारी नहीं होगी.

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