कर्मों का लेखा-जोखा देखने, कलम दवात लिए विराजे हैं भगवान चित्रगुप्त

रवि सिंह/ विदिशा. ब्रह्मांड का लेखा-जोखा रखने वाले चित्रगुप्त जी महाराज के वैसे तो देश में कई मंदिर हैं लेकिन विदिशा में करीब 55 वर्ष पहले माधवगंज में स्थापित की गई भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा अनोखा है. कायस्थ समाज द्वारा इस यह प्रतिमा स्थापना की गई थी. भगवान चित्रगुप्त कायस्थ समाज के लिए विशेष महत्व रखते है.

भगवान चित्रगुप्त और कलम दवात की पूजा हर कायस्थ परिवार होती है और फिर मंदिर में सामूहिक रूप से की जाती है, इसके अलावा कायस्थ सभा के चित्रगुप्त मंदिर में भगवान चित्रगुप्त अपनी 12 संतानों के साथ विराजित किए गए, यह प्रतिमा भी अपने आप में अनूठी है.

कायस्थ सभा के अध्यक्ष शरद कुमार श्रीवास्तव का कहना है कि यहां स्थापित भगवान चित्रगुप्त की प्रतिमा नगर में स्थापित पहली प्रतिमा है, चित्रगुप्त जी बारह पुत्रों के साथ विराजमान हैं. जिसमें भगवान अपनी पत्नी सूर्यदक्षिणा/नंदनी सहित 12 पुत्रों के साथ विराजमान है. जब यह प्रतिमा स्थापित की जा रही थी तब गाय ने बछड़े को जन्म दिया जो काफी शुभ माना जाता है, साथ ही मंदिर में आए भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है.

मंदिर में महिलाएं करती हैं सुंदरकांड

भगवान चित्रगुप्त के मंदिर में रोजाना योग और सुंदरकांड होते हैं. मंदिर में आने वाली हेमलता सेन का कहना है कि हम चित्रगुप्त जी के मंदिर में 3 साल से आ रहे हैं और हम यहां पर सुबह योग करते हैं और शाम में सुंदरकांड का पाठ भी करते हैं. हेमलता के साथ वर्षा और रितु सेन भी प्रतिदिन आती है और मंदिर में सुंदरकांड का पाठ करती है.

भगवान चित्रगुप्त की पूजन विधि

वैसे तो भगवान चित्रगुप्त कलम के धनी हैं और सभी का लेखा-जोखा उन्हीं की कलम से लिखा जाता है. वहीं उनकी पूजा की बात करें तो उनकी पूजा करते समय सबसे पहले पेन और कॉपी लेते हैं, उनकी पूजा करते हैं. इसके बाद चित्रगुप्त जी का ध्यान करते हैं फिर दीपक जलाकर गणेश जी की पूजा अर्चना करने के बाद भगवान चित्रगुप्त जी को चन्दन, हल्दी, रोली अक्षत, पुष्प व धूप आदि उनकी पूजा करते है. इसके बाद ऋतुफल, मिठाई, पंचामृत (दूध, घी कुचला अदरक, गुड और गंगाजल) एवं पान सुपारी का भोग लगाते है.

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