Bikaner news: बीकानेर के मुख्य पर्यटन केंद्र में से एक जूनागढ़ क़िले की सौन्दर्यता को बनाने वाली झील सुरसागर के हाल बेहाल है. पर्यटन सीजन में झील के हाल इतने बुरे है कि पर्यटक मायूसी होकर लौट रहे है. करोड़ों रुपए खर्च करके भी नही हुवा सूरसागर का स्थाई समाधान नहीं हो गया है.
झील की हो रही है उपेक्षा
यूआईटी और नगर निगम उदासीनता के चलते सूरसागर की स्थिति हुई बद से बद्तर हो गई है ऐतिहासिक जूनागढ़ किले के पास स्थित है सूरसागर झील तत्कालीन वसुंधरा सरकार ने सूरसागर को झील का स्वरूप दिया था. अब जिला प्रशासन की उदासीनता के चलते सूरसागर झील की उपेक्षा हो रही है.
पार्षद प्रतिनिधि आदर्श शर्मा ने प्रशासन को जिम्मेदार बताया
सूरसागर की दुर्दशा पर पूर्व पार्षद व वर्तमान में पार्षद प्रतिनिधि आदर्श शर्मा ने प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सूरसागर अब तक हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जा चुके हैं, लेकिन हालात आज भी वैसे के वैसे पड़े है. उन्होंने कहा कि यह पर्यटक स्थल होना चाहिए, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों व निगम के अधिकारियों की अनदेखी के चलते आज सूरसागर के बदत्तर हालात हो रखे है.
बारिश के कारण दीवार ढ़ह जाती है
उन्होंने कहा कि एक बार काम होता है, लेकिन उसके बाद वापस उसकी मॉनिटरिंग नहीं होती. जिसके कारण आज सूरसागर के खस्ता हाल है. कभी इसमें गंदा पानी आ जाता है तो कभी बारिश के पानी के कारण इसकी दीवार ढ़ह जाती है. लाईट कुछ दिनों के लिए चमचमाती है, लेकिन कुछ दिनों बाद अंधेरा छा जाता है.
प्रशासनिक अधिकारियों की मॉनिटरिंग के आभाव के चलते सूरसागर अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है.यहां-यहां नए नवाचार किए जाते है, लेकिन उन नवाचारों पर एक बार काम होने के बाद उसे लगातार जारी नहीं रखा जा रहा.