NPPA Fixes 69 Drugs: भारत में करीब 10 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं. वहीं डब्ल्यूएचओ के मुताबि 18.83 करोड़ भारतीय हाई ब्लड प्रेशर के शिकार हैं. यानी भारत हाइपरटेंशन और डायबिटीज का गढ़ बनता जा रहा है. दुर्भाग्य से इन दोनों बीमारियों का फुल प्रूव इलाज नहीं है लेकिन अगर बीमारी अपने अधिकतम स्टेज में है तो रोजाना दवा खाना नितांत आवश्यक हो जाता है. आंकड़े यह भी बताते हैं कि करीब आधे लोग हाई बीपी और डायबिटीज होने के बावजूद दवा नहीं खाते हैं. कुछ लोगों के लिए इन दवाओं की कीमत भारी पड़ती है. सरकार ने अब इन करोड़ों लोगों को खुशखबरी दी है.
दवाओं की कीमत तय करने वाली सरकारी नियामक संस्था नेशनल फर्मास्युटिकल प्राइजिंग ऑथोरिटी (NPPA) ने डायबिटीज और हाइपरटेंशन दोनों बीमारियों में इस्तेमाल होने वाली लगभग 69 दवाओं की कीमत कम कर दी है. एनपीपीए ने इन दोनों बीमारियों के लिए 69 दवाओं के फॉर्मुलेशन का खुदरा मूल्य तय कर दिया है जबकि 31 फॉर्मुलेशन वाली दवाओं की कीमत पर सीलिंग लगा दिए हैं, यानी इन दवाओं को इस मूल्य से ज्यादा में नहीं बेचा जा सकता है.
69 फॉर्मुलेशन वाली दवाओं का मूल्य होगा कम
दवाओं के फॉर्मुलेशन का मतलब कि किसी बीमारी की दवा में कंपोजिशन, यानी किसी दवा में क्या-क्या कंपाउड या सॉल्ट इस्तेमाल हुए हैं. जैसे डिपाग्लिनफ्लोजिन (dapagliflozin),मेटामॉर्फिन हाइड्रोक्लोराइड और ग्लिमेपिराइड कंपोजिशन से डायबिटीज की दवा आती है तो यह एक फॉर्मुलेशन हो गया. इन तीनों कंपोजिशन की एक दवा की कीमत अब 14 रुपये हो जाएगी वहीं सिटाग्लिप्टीन फॉस्फेट, मेटाफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड और ग्लिमेपिराइड कंबिनेशन वाली दवा की कीमत 13 रुपये तक सीमित हो जाएगी. इसी तरह 39 फॉर्मुलेशन वाली दवाइयों की कीमत तय कर दी गई है. दूसरी ओर 31 कंपोजिशन वाली दवाओं की कीमत में सीलिंग लगा दी है. इसके तहत सांप काटने में इस्तेमाल होने वाली एंटीसीरम दवा अब 428 रुपये से ज्यादा नहीं होगी. वहीं एचआईवी की दवा जिडोवुडाइन, थैलीसीमिया की दवा डिसफेरिऑक्सामाइन और अस्थमा की दवा का मूल्य भी तय कर दिया गया.
डायबिटीज, बीपी दवाओं की कीमत लगातार कम
1977 में एनपीपीए का गठन हुआ था. इसके बाद समय-समय पर यह आवश्यक दवाओं की कीमत कम करता रहता है. एनपीपीए का मुख्य काम आम जनता में आवश्यक दवाओं को सर्वसुलभ कराना है. वहीं ड्रग प्राइज कंट्रोल ऑर्डर के तहत यह दवाओं के मूल्य पर निगरानी रखता है. विगत कुछ वर्षों से आवश्यक दवाओं की कीमत में महत्वपूर्ण रूप से कमी आई है. हालिया एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि फेडरेशन ऑफ फार्मा एंटरप्रेन्योर जो कि दवा कंपनियों की एक लॉबी है, इस मूल्य को रोकने की गुहार लगाई थी लेकिन एनपीपीए ने ऐसा नहीं किया. गौरतलब है कि एक दशक पहले तक बीपी और डायबिटीज की दवाओं की कीमत बहुत अधिक थी जो अब धीरे-धीरे बहुत कम हो रही है. नई व्यवस्था के तहत सन फार्मो, अल्केम लेबोरेटरी, सिपला लिमिटेड, लुपिन जैसी बड़ी कंपनियों को अपनी दवा की कीमत कम करनी होगी.
.
Tags: Health, Health News, Lifestyle, Trending news
FIRST PUBLISHED : February 29, 2024, 11:42 IST