करवा चौथ पर मिट्टी का करवा क्यों होता है खास, पंडित ने बताया इसका महत्व

लखेश्वर यादव/ जांजगीर चांपा. सुहागिन महिलाओं का सबसे बड़ा त्योहार करवा चौथ व्रत इस साल 01 नवंबर बुधवार को मनाया जाएगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु अच्छे स्वास्थ्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और शाम को चंद्रमा को अर्घ देकर अपना व्रत खोलती हैं. जिसको लेकर खूब तैयारियां कर रही हैं और श्रृंगार समान को लेकर सजने के लिए शॉपिंग भी कर रही है.

इसके साथ ही करवा चौथ की पूजा समान भी खरीदने के लिए बाजार जा रही है. अपको बता दें कि करवा चौथ को लेकर जांजगीर में बाजार सज गए हैं और सुहागन महिलाएं बाजार में श्रृंगार समान और करवा चौथ पर पूजा के सामान की खरीदारी करने के लिए आ रही है. करवा चौथ व्रत पूजा पर सबसे ज्यादा मिट्टी से बने करवा और छन्नी (चलनी) का महत्व रहता है. करवा को रंग से सजाया है, उसको रिबन बांधकर सजाया गया है. वही, छन्नी जिससे महिलाएं पूजा के बाद अपने पति को देखती है उसको भी सजाया गया है.

पंडित बसंत महाराज जी ने बताया है कि करवाचौथ के दिन महिलाएं प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर पहले स्नान ध्यान के बाद भगवान की पूजा करती हैं. इसके बाद रात में जब चंद्रमा उदय होने का बाद उसको करवा (मिट्टी से बने कलश) में कांस के कुछ तृण रख करके उसमें जल और दूध भरकर चंद्रमा को अर्घ्य देकर पूजा की जाती है. उसके बाद व्रत का पारण करती हैं. पूजा कर लेने के बाद में करवा (मिट्टी से बने कलश) में शक्कर, चावल भरकर उसको दान करना चाहिए इससे परिवार समृद्ध रहता है.

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FIRST PUBLISHED : October 30, 2023, 18:47 IST

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