करवा चौथ पर दूध में पानी मिलाकर क्यों दिया जाता है चांद को अर्घ्य, जानें नियम

दुर्गेश सिंह राजपूत/नर्मदापुरम. करवा चौथ के त्योहार को लेकर सुहागिन महिलाएं बहुत प्रसन्न रहती हैं. इस बार करवा चौथ 1 नवंबर को मनाया जा रहा है. करवा चौथ के दिन सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं. इसके साथ ही पति की लंबी उम्र के लिए कामना करती है और शाम को जब चांद निकलता है तो उसे अर्घ्य देने के बाद ही अपने पति के हाथ से अपना व्रत पूरा करती हैं. पर क्या आप जानती हैं कि चंद्रमा को अर्घ्य देने का सही तरीका क्या है. करवा चौथ की पूजा तब पूरी होगी जब आप चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से चांद एवं फिर पति को देखा जाता है. लेकिन चांद को अर्घ्य देने के लिए दूध और पानी को मिलाकर अर्घ्य क्यों दिया जाता है जानिए.

चंद्रमा मन का कारक ग्रह
ज्योतिसाचार्य के अनुसार, शास्त्रों में बताया गया है कि करवा चौथ की पूजा तब पूरी मानी जाती है जब चंद्रमा को सही तरीके से अर्घ्य दिया गया हो. शास्त्रों के अनुसार बताया गया है कि चंद्रमा मन का कारक ग्रह है. ऐसे में करवा चौथ पर चंद्रमा को अर्घ्य देने से पहले विधि-विधान से महिलाएं चांद की पूजा करती हैं और फिर चंद्रमा को अर्घ्य देकर छलनी से चांद को देखकर फिर अपने पति की शक्ल को देखती हैं. इसके बाद पति अपने हाथ से करवे में रखा हुआ जल अपनी पत्नी को पिलाकर उनके व्रत को पूरा करते हैं.

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दूध और पानी का मिश्रण
पं अविनाश मिश्रा ने बताया  कि करवा चौथ पर दूध और पानी का मिश्रण बनाकर इससे चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है. चंद्रमा का संबंध दूध और चांदी से होता है. ऐसा बताया गया है कि ऐसे में जब भी किसी राशि में चंद्रमा कमजोर होता है तो उन्हें दूध अर्पित करने की सलाह दी जाती है. लेकिन सादा दूध चंद्रमा को चढ़ाने से ये सीधा जाकर जमीन पर गिरता है, इससे अशुभ होता है. ऐसे में करवा चौथ के दिन भी दूध में पानी मिलाकर अर्घ्य दिया जाता है तो इससे शुभ संकेत मिलता है. इसके साथ ही अर्घ्य देने के लिए तांबे के लोटे का ही उपयोग करना चाहिए. क्योंकि तांबा धातु पूजा पाठ के लिहाज से बहुत शुभ माना जाता है. आप इसका उपयोग चंद्रमा को अर्घ्य देने के लिए कर सकते हैं या फिर मिट्टी के करवा का उपयोग भी कर सकते हैं.

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