गुलशन कश्यप/जमुई: करवा चौथ के त्यौहार की तैयारी अब जोरों से चल रही है, और 1 नवंबर को इस महत्वपूर्ण दिन का आगाज होगा. इस मौके पर, सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना के लिए व्रत रखेंगी और चांद को छलनी से देख कर अपने पति का चेहरा देखेंगी. लेकिन, बहुत कम लोग ही ऐसे होंगे जो यह जानते होंगे कि इस दिन चांद को छलनी से ही क्यों देखा जाता है.
करवा चौथ के दौरान महिलाएं व्रत रखती हैं और चांद का चेहरा छलनी से देखकर अपने पति का चेहरा देखती हैं. ऐसे में यह सवाल कई लोगों के मन में उठता है कि इस दिन छलनी से ही चांद को क्यों देखा जाता है. ज्योतिषाचार्य प्रदीप आचार्य इस बारे में बताते हैं कि इस परंपरा का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है.
पति को छलनी से ही क्यों देखा जाता है, जानिए कारण
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि करवा चौथ की रात, चंद्रमा का उदय होते ही महिलाएं अर्घ्य देकर व्रत का पारण करती हैं, और चंद्रमा को जल समर्पित किया जाता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस परंपरा के अनुसार, चंद्रमा का सीधा दर्शन नहीं करना चाहिए, बल्कि छलनी के माध्यम से ही इसका दर्शन किया जाना चाहिए. वे यह भी बताते हैं कि महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं, क्योंकि स्पष्ट रूप से चंद्रमा का दर्शन करने की परंपरा नहीं है. चंद्रमा का दर्शन किसी न किसी की आड़ में करना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया कि छलनी के छिद्रों से, पत्नी अपने पति के चेहरे को देखती हैं और प्रार्थना करती हैं कि छिद्रों के बीच से पति को देखने पर उनकी उम्र सैकड़ों वर्ष की हो, इसके बाद पति अपनी पत्नी को जलपान करके उसके व्रत को पूरा करते हैं
राजा दक्ष ने चंद्रमा को दिया था श्राप
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि करवा चौथ के व्रत का पुराणों में भी उल्लेख मिलता है, और पुराणों में इसे करक चतुर्दशी के नाम से जानते हैं. पुराणों में एक कथा है कि प्रजापति दक्ष ने एक बार चंद्रमा को श्राप दिया था कि तुम क्षीण हो जाओ, जो तुम्हारा दर्शन करेगा, उस पर कलंक आएगा. तब चंद्रमा रोते हुए भगवान शंकर के पास पहुंचे, फिर भगवान शंकर ने उन्हें वरदान दिया कि जो भी करक चतुर्थी के दिन तुम्हारा दर्शन करेगा, उसकी सारी कामनाएं पूरी हो जाएगी. इसके अलावा, इसका उल्लेख रामायण में भी मिलता है. भगवान श्री राम ने एक बार यह कहा था कि चंद्रमा में जो काला दाग है, वह एक प्रकार से विष के समान है, और ऐसे में वह अपना विष छोड़ता है. इसलिए छलनी से चांद को देखने की परंपरा है. इस दिन पत्नी यह कामना करती है कि उनके जीवन में उनका साथी के साथ कभी वियोग ना हो.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 10:15 IST