विकाश पाण्डेय/सतना. करवाचौथ नजदीक है, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला यह त्यौहार इस वर्ष अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 1 नवंबर को पड़ेगा. इस दिन महिलाएं अपने पति की दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य के लिए करवाचौथ का कठोर निर्जला व्रत रहती हैं, जो सूर्योदय से पहले सरगी लेकर प्रारंभ होता है और सूर्यास्त के बाद चंद्रदर्शन के पश्चातपति को देख कर उनके हाथों से ही व्रत खुलता है. लेकिन सवाल यह उठता है कि सरगी है क्या और इसका महत्त्व क्या है.
क्या होती है सरगी
सरगी करवाचौथ के दिन व्रत को शुरू करने की रस्म होती है. जिसके बिना करवाचौथ का व्रत शुरू नहीं किया जा सकता. सरगी सास द्वारा दी जाती है जिसमें खाने पीने की वस्तुओं सहित 16 श्रृंगार की सभी वस्तुएं और पूजन सामग्री होती है. सरगी में फल, मिठाइयां, ड्रायफ्रूट, दिए जातें हैं जिन्हें करवाचौथ के दिन सूर्योदय से पहले ग्रहण कर के उपवास शुरू किया जाता है. जिन व्रतियों की सास नहीं है वह अपनी जेठानी से सरगी ले सकतीं हैं.
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सरगी क्यों खाई जाती है
करवाचौथ का यह व्रत बहुत ही दुर्लभ और कठोर होता है, जिसमें निर्जला व्रत रहना होता है, इसलिए सरगी खाई जाती है. इसमें पौष्टिक और आसानी से पचने वाले व्यंजन अथवा अन्य चीजें रखी जाती हैं.
क्या है सरगी का महत्व
सरगी एक परंपरा है जिसके बिना इस व्रत की शुरुआत नहीं की जा सकती. साथ ही सरगी में दिए जाने वाले व्यंजन ग्रहण करके ही व्रत की शुरुआत होती है, इसलिए यह व्रत का महत्त्वपूर्ण भाग है.
सरगी खाने का शुभ मुहूर्त
सभी व्रती माताएं प्रातः ब्रम्ह मुहूर्त में 3 बजकर 30 मिनट से 4 बजकर 30 मिनट तक सरगी खा लें. यह सब से उत्तम समय होता है
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 12:41 IST