हाइलाइट्स
एशिया में जापान के पुरुष जीते हैं सबसे लंबा जीवन
समय के साथ बढ़ता गया है करवाचौथ का व्रत
करवाचौथ का व्रत हमारे देश में सदियों से रखा जाता रहा है. माना जाता है कि इस व्रत के जरिए भारतीय महिलाएं अपने पतियों की लंबी आयु की मनोकामना करती हैं. इस व्रत को धार्मिकता से जुड़ा पाते हैं. हाल के दशकों में भारत में पुरुष और महिलाओं की आयु तो बढ़ी है लेकिन ये जानना दिलचस्प है कि दुनिया में सबसे लंबा जीने वाले पुरुष हमारे यहां के नहीं बल्कि कहीं और के हैं.
उत्सवधर्मी हिंदू समाज व्रत त्योहार का कोई अवसर नहीं छोड़ता. देश के किसी भी एक क्षेत्र में होने वाले व्रत – त्योहार बड़ी ही आसानी से दूसरे हिस्से तक का सफर कर वहां के समाज में रच बस जाते हैं. करवा चौथ ऐसा ही त्योहार है. इस त्योहार की शुरुआत किस इलाके से हुई ये ठीक ठीक कह पाना संभव नहीं है, क्योंकि इसे सीताजी और गौरी माता से भी जोड़ा जाता है.
बाद के समय में इसे अर्जुन और द्रौपदी से भी जुड़ा बताया गया. हालांकि पुराने लोगों की माने तो करवा चौथ पंजाब के कुछ हिस्सों में ही होता रहा है. अगर पूरे पंजाब में ये त्योहार होता रहता तो पाकिस्तान में ये पर्व मनाया जाता. जानकारी कहती है कि पाकिस्तान में भी ये व्रत रखा जाता है. बेशक इसे जाहिर नहीं किया जाता, क्योंकि इस्लामिक देश होने के कारण वहां धार्मिक तौर पर बहुत सी पाबंदियां भी हैं.
बहरहाल, हिंदी फिल्मों में इसे बेहद रूमानी तौर पर दिखाए जाने के बाद इसकी लोकप्रियता देश के दूसरे हिस्सों में फैलती ही गई है. वैसे ये कहना भी मुश्किल है कि किस हिंदी फिल्म में पहली बार करवा चौथ का जिक्र आया था.
माना जाता है कि 1965 में फिल्म ‘बहू बेटी’ में पहली बार करवा चौथ का दृश्य और गाना भी शामिल किया गया था. फिल्म के डायरेक्टर टी प्रकाश राव थे और इसमें अशोक कुमार, माला सिन्हा, जॉय मुखर्जी, महमूद और मुमताज जैसे कलाकार थे. फिल्म में गीत था – आज है करवा चौथ सखी…. इसे स्वर दिया था आशा भोसले ने दिया था. आजादी की लड़ाई और महिला प्रधान फिल्म उस दौर में अच्छा चली थी और करवा चौथ को भी खूब प्रचार मिला था.
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क्या ब्रज में हैं करवाचौथ की जड़ें
दिल्ली के आस पास के इलाकों की बात की जाय तो ब्रजमंडल तो ऐसे किसी भी त्योहार व्रत के लिए तैयार था जो प्रेम का हो. माना जाता है कि ब्रज में भी इसकी परंपरा पुरानी है. इसी तरह से उत्तर प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में इसकी जड़े अपेक्षाकृत नई बताई जाती हैं. जबकि कानपुर में पंजाबी लोगों का बहुत पहले से अच्छा-भला असर था. लेकिन लखनऊ तक पहुंचते पहुंचते इसका असर वैसा नहीं रह जाता जैसा पश्चिम के हिस्सों में है.
पतियों की लंबी आयु के लिए तरह तरह के व्रत
लखनऊ से पूरब की बात की जाय उन इलाकों में डाला छठ और लाला छठ जैसे कठिन व्रत पहले से ही थे. हां, पति के दीर्घायु होने की बात की जाय तो वट सावित्री नाम का व्रत है जिसमें महिलाएं पतियों के लिए व्रत रह कर वट वृक्ष की परिक्रमा करती हैं और उसमें सूत लपेट कर मंगल कामना करती रही हैं. वट सावित्री की कथा सावित्री सत्यवान से जुड़ी है, जिसमें सावित्री अपने पति के प्राण महिषारोही यमराज के चंगुल से निकाल लाती हैं.
लिहाजा लंबे समय तक इस इस निरान्नजल व्रत को वो लोकप्रियता नहीं मिल सकी. बाद की फिल्मों में इस त्योहार को लेकर बढ़ते रूमानी चित्रण ने जोर बनाया तो ये लखनऊ से आगे बढ़ा लेकिन बनारस के बाद फिर इसका असर कम हो गया. इन क्षेत्रों में गणेश चतुर्थी और छठ जैसे व्रत मैजूद थे जिनमें महिलाएं चौबीस घंटे या बारह घंटे का निरान्नजल व्रत रखती रहीं.
बिहार और बिहार की सीमा से लगे उत्तर प्रदेश के जिलों में तो छठ और वट सावित्री तकरीबन सभी जगहों पर होते हैं. इसमें छठ यानी सूर्य षष्टी और गणेश चतुर्थी के व्रत पुत्रों के लिए और वट सावित्री पति के लिए होते ही रहे हैं. लिहाजा वहां लंबे समय तक करवा चौथ का व्रत नहीं होता था.
समय के साथ फैला है करवाचौथ का व्रत
फिर भी इन इलाकों में ममतामयी महिलाएं किसी कष्ट के अवसर पर संकल्प ले लेती रही कि अगर उनका ये कष्ट कट गया तो बहू करवा का व्रत करेगी. इसके अलावा फिल्मों ने जिस तरह से करवा चौथ का भव्य और मोहक चित्रण करती रही हैं उसका असर भी बहुत सारे हिस्सों में फैलता ही गया. उत्तर भारत के अलग-अलग राज्यों में इसका प्रसार होता गया.
यहां तक कि इस त्योहार ने धर्म की सीमा भी पार कर ली है. शायर और पाकिस्तान के समाज को नजदीक से समझने वाले शायर हसन काजमी कहते हैं कि पास पड़ोस की अच्छी बातें खुद ब खुद दूसरे समाज में चली जाती है. ये अलग बात है बंदिशों के कारण लोग जाहिर नहीं करते. वरना बहुत से ऐसे गैर हिंदू परिवार हैं जहां करवा चौथ की जाती है.
कहां के पुरुष जीते हैं लंबी आयु
अब इसका एक दूसरा और रोचक पहलू ये आता है कि पतियों को दीर्घायु करने के लिए व्रत भारतीय स्त्रियां करती हैं, लेकिन लंबी आयु तक जीते मोनाको और जापान वाले हैं. जापान समेत दुनिया के कई देशों के लोगों के बाद ही औसत आयु में भारत का नंबर आता है.
फ्रांस और इटली के बीच मोनाको के लोगों की आयु सबसे ज्यादा होती है. यहां इंसानों की औसत आयु 83 साल की है. इसके बाद हांग कांग और मकाऊ और जापान के नंबर आते हैं. जापान के पुरुषों की औसत आयु 80 साल होती है. जबकि भारतीयों की औसत आयु साढ़े सत्तर साल बताई जा रही है, वैसे ये भी रोचक है कि ये औसत आयु देश में बढ़ी तमाम स्वास्थ्य सुविधाओं के बाद की है.
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Tags: Karwachauth, Lucknow city
FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 11:22 IST