राजाराम मंडल/मधुबनी. बिहार का मधुबनी जिला शुरू से ही बाढ़ग्रस्त और जल जमाव वाला इलाका रहा है. पानी की प्रचुर मात्रा उपलब्ध होने के कारण इस इलाके में धान की खेती बड़े पैमाने पर की जाती रही है. लेकिन पारंपरिक तौर तरीके से की जा रही धान की खेती से किसानों को ज्यादा मुनाफा नहीं हो रहा है. इस कारण कई किसान धान की खेती से मुंह भी मोड़ने लगे हैं. हालांकि, अब जिले में भी वैज्ञानिक तकनीक से खेती की शुरुआत हो चुकी है. इसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा. किसानों की आर्थिक स्थिति काफी मजबूत होगी. बताया जाता है कि यहां के 90 फीसदी लोग खेती करते हैं. इसमें से मात्र 30 फीसदी ही खेती से बेहतर लाभ कमा रहे हैं.
मधुबनी जिले के राजनगर प्रखंड के रहने वाले कृषि विशेषज्ञ डॉ. आशुतोष ने हाल ही में अपने बगीचे में सेब की खेती की थी. जिसमें वह सफल भी रहे थे. उसी तरह अब वह पंजाब से लाए हुए बासमती धान के बीज की खेती कर रहे हैं. इससे यहां के किसानों को आगे चलकर लाखों का मुनाफा होगा. वह बताते हैं कि मधुबनी में होने वाले धान की बाजार कीमत 12 से 16 रुपए प्रति किलो लगती है. लेकिन बासमती के 1692 नंबर ब्रांड का धान25 से 30 रुपए प्रति किलो की दर पर बिकेगा. जबकि इसकी खेती में मेहनत और समय भी कम लगता है. लोकल ब्रांड की फसल 120 दिन में तैयार होती है. मगर बासमती 1692 नंबर ब्रांड के धानकी फसल 85 से 90 दिन में ही तैयार हो जाती है.
वैज्ञानिक तरीके से नहीं हो रही खेती
डॉ. आशुतोष कहते हैं कि जिनकी खेतों में पानी ज्यादा लगता है, उनके लिए 1718 ब्रांड के बासमती धान की खेती करना फायदेमंद होगा. जबकि जिनकी खेत में पानी नहीं जमता है, वह बासमती की 1692 नंबर ब्रांड की खेती करें. हालांकि, फायदा दोनों में बराबर ही होगा. इनका मानना है कि बिहार की मिट्टी पंजाब से कई गुना ज्यादा उर्वर है. लेकिन सही तरीके और वैज्ञानिक विधि से खेती नहीं किए जाने के कारण यहां के किसानों को पारंपरिक खेती में नुकसान हो जाता है. लेकिन पंजाब के लोग बल्क में एक ही धान के खेती करते हैं, जिससे वह लाखों-करोड़ का बिजनेस करते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 13:26 IST