शशिकांत ओझा/पलामू. शहद कई बीमारियों के लिए रामबाण होती है, लेकिन पलामू की शहद बात ही कुछ और है. क्योंकि यह शहद सिर्फ सर्दियों के दो महीनों में ही मिलती है और इसकी डिमांड विदेशों तक है. यही कारण है कि इस शहद के लिए ठंड के सीजन में दूरदराज से मधुपालक पलामू पहुंचते हैं. पलामू में सर्दी के सीजन में वन तुलसी भारी मात्रा में खिली होती है. इसकी खुशबू से पूरा वातावरण सुगंधित रहता है.
पलामू आने पर पूरे रास्ते वन तुलसी के पौधे नजर आएंगे. यह औषधीय पौधा पलामू में बड़ी मात्रा में उगता है. यहीं कारण है कि दूर-दूर से मधुपालक इसका शहद लेने के लिए अपनी मधुमक्खियों के साथ यहां आते हैं और शहद का उत्पादन करते हैं. पलामू के सतबरवा-रांची मुख्य मार्ग के किनारे चतरा से आए मधुपालक टेंट लगाकर शहद का उत्पादन कर रहे हैं. जगह-जगह टेंट लगाकर वन तुलसी फ्लेवर का शहद तैयार किया जा रहा है. इटालियन बी मधुमक्खी के सहयोग से सर्दी में शहद का उत्पादन किया जाता है. दो माह में करीब 9000 किलो शहद उत्पादन का लक्ष्य है.
यह शहद जमती नहीं
चतरा केखलारी निवासी राजेश कुमार ने बताया कि वह एक साल में चार सीजन मधु उत्पादन करते हैं. तीसरे सीजन में हर साल पलामू आते हैं, जहां वन तुलसी फ्लेवर की शहद उन्हें मिलती है. ये शहद बाकी शहद के मुकाबले ज्यादा बेहतर होती है, जिसके जमने की संभावना बिल्कुल नहीं होती. पलामू में इस बार 1100 बॉक्स लेकर आए हैं, जिससे अब तक लगभग 7000 केजी शहद निकाल चुके हैं. उन्होंने बताया कि शहद तब तक निकलता है, जब तक फूल खिले होते हैं. वहीं, इस शहद को सड़क किनारे ही खुदरा 320 रुपये केजी के रेट से बेचा जाता है. वहीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुले रेट के हिसाब से बिक्री की जाती है.
ऐसे होती है शहद तैयार
बताया कि उन्होंने 20 साल पहले खादी ग्राम बोर्ड से प्रशिक्षण लेकर शहद उत्पादन की शुरुआत की थी. इसके बाद उन्हें 50 कॉलोनी सरकार द्वारा मिली थी. आज वो 1500 कॉलोनी में शहद उत्पादन कर रहे हैं. शहद उत्पादन के लिए सबसे पहले कॉलोनी यानी बॉक्स को उस जगह ले जाते हैं, जहां फूल खिले होते हैं. इसके बाद मधुमक्खी के मोनी छत्ता को पानी में उबालकर एक सांचा तैयार करते हैं, जिसे हर बॉक्स में 10 सांचा लगाते हैं. इसके बाद एक हफ्ते में मधुमक्खी अपना छत्ता तैयार कर लेती है. फूल अच्छे से खिले हों तो शहद को तैयार करने में दस दिन का समय लगता है. इसके लिए वो इटालियन बी प्रजाति की मधुमक्खी का प्रयोग करते हैं. शहद तैयार होने पर छत्ते को मशीन में डालते हैं, जहां हवा के प्रेशर से शहद बाहर आ जाती है. इसे अच्छे से छानकर 1kg और 1/2 kg के डिब्बे में पैक कर बेचते हैं.
1 लाख की लागत में दोगुना मुनाफा
राजेश कुमार ने बताया की सरकार द्वारा इसे लेकर कई योजना चलाई जाती है, जिसमें कोई भी कृषि विभाग से प्रशिक्षण लेकर स्वावलंबी बन सकता है. इसके उत्पादन में लागत से दोगुना मुनाफा है. अगर एक सीजन में आप एक लाख रुपये लगाते हैं तो अगले सीजन में लागत के अलावा आपको दो लाख मुनाफा हो जाएगा. वहीं अगर किसी को इसे बेहतर तरीके से समझना हो तो उनके द्वारा नि: शुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है. प्रशिक्षण प्राप्त कर आसानी से मधुपालन कर सकते हैं. एक बॉक्स का सरकारी रेट 4000 रुपए है, जिसमें सरकार किसानों को सब्सिडी भी देती है. वहीं, बॉक्स का बाजार रेट 2500 रुपए है. अधिक जानकारी के लिए या शहद की खरीदारी के लिए 6206810552 पर संपर्क कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 29, 2023, 15:00 IST