ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा: पारंपरिक ईंधन के रूप में आज के समय में बड़े पैमाने पर पेड़ की लकड़ियों का प्रयोग घर, होटल समेत अन्य स्थानों पर किया जाता है. पेड़ों की कटाई से पर्यावरण असंतुलन के गंभीर परिणाम सामने आ रहे हैं. ऐसे में कोडरमा में पेड़ की लकड़ी के विकल्प के रूप में गोबर की लकड़ी का निर्माण शुरू किया गया है.
झुमरी तिलैया के यदुटांड़ स्थित श्री कोडरमा गौशाला समिति द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए गोबर से लकड़ी (गोकाष्ठ) का निर्माण किया जा रहा है. समिति के अरुण मोदी ने बताया कि गोबर की लकड़ी बनाने के लिए 80 प्रतिशत गोबर और 20 प्रतिशत लकड़ी का बुरादा या कोयला के बुरादा का प्रयोग किया जाता है. गोबर और बुरादा का मिक्सचर बनाने के बाद मशीन के जरिए इसे लकड़ी का रूप दिया जाता है. प्रत्येक लकड़ी करीब 1 फीट गोल और 4 फीट लंबी होती है. मशीन के द्वारा तैयार होने के बाद इसे 6 दिनों तक धूप में सुखाया जाता है.
कीमत मात्र 10 रुपये किलो
आगे बताया कि समिति द्वारा मात्र 10 रुपये किलो के हिसाब से गोबर की लकड़ी लोगों को उपलब्ध कराई जा रही है. इसका उपयोग पूजन-हवन के कार्यों, तंदूर बनाने, भोजन बनाने समेत अंतिम संस्कार जैसे कार्यों में भी किया जा सकता है. फिलहाल जिले के कुछ होटल में भोजन बनाने में इसका उपयोग किया जा रहा है. वहीं, समिति के द्वारा कुछ लावारिस शवों के अंतिम संस्कार में भी गोबर से बनी लकड़ी नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई थी.
लकड़ी के लिए यहां करें संपर्क
अरुण मोदी ने बताया कि गोबर से बनी लकड़ी प्राप्त करने के लिए श्री कोडरमा गौशाला समिति के किसी भी सदस्य अथवा उनके मोबाइल नंबर 9931595000 पर संपर्क किया जा सकता है. बताया कि गोबर से बनी लकड़ी पेड़ की लकड़ी की तुलना में काफी हल्की होती है. इसे जलाना भी काफी आसान है और इसमें धुआं भी कम होता है. समिति के द्वारा 10 केजी का गौकाष्ठ बैग तैयार कर लोगों को उपलब्ध कराया जा रहा है. होलिका दहन में भी इसे बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 14:08 IST