अर्पित बड़कुल/दमोह. दमोह जिले के ज्यादातर घरों की सुंदरता बढ़ा देने वाला यह हरा पत्ता आयुर्वेद में औषधि गुणों की खान माना जाता है. पत्थरचट्टा एंटीइंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर है, जो कि शरीर में कई प्रकार के दर्द को कम करने में मददगार औषधि है. इसके अलावा पेट की पथरी को भी कम करने में कारगर है.
आयुर्वेद (Ayurveda) के अनुसार, पत्थरचट्टा में तमाम तरह के औषधीय गुण पाए जाते हैं और इसका प्रयोग कई तरह की बीमारियों की दवा बनाने में किया जाता है. पत्थरचट्टा के अलावा इसे एयर प्लांट, कैथेड्रल बेल्स, लाइफ प्लांट और मैजिक लीफ के नाम से जाना जाता है. आयुर्वेद में इस पौधे को भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से जानते हैं, जबकि मेडिकल साइंस में bryophyllum pinnatum मानती हैं. इस पौधे की पत्तियां स्वाद में खट्टी और नमकीन होती हैं, जो मुंह के स्वाद को भी बदल देती हैं.
ऐसे करें सेवन
आयुर्वेद डॉ. अभिषेक खरे ने बताया कि मूत्रवाहक जो रोग होते हैं उसमें इसका उपयोग किया जाता है. पत्थरचट्टा यूरिया इंफेक्शन जैसे कि मूत्र नलियो, किडनी में इंफेक्शन होना उन रोगों के इलाज के लिए इसका उपयोग कर सकते हैं. किडनी की बीमारियों और भी अन्य बीमारियों के लिए यह औषधि पौधा लाभकारी है, पत्थरी से ग्रसित मरीज का सेवन खाली पेट भी कर सकते हैं. एक एक पत्ते को सीधे भी खा सकते हैं, और बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो इसका भजिया बनाकर भी सेवन करते हैं. इसके पत्तों का जूस बनाकर भी सेवन किया जा सकता है.
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FIRST PUBLISHED : October 31, 2023, 15:45 IST