कमाल का जहरीला फल…गंजेपन को करेगा दूर, जिद्दी डेंड्रफ भी होगा गायब

अर्पित बड़कुल/दमोह. मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड इलाके में ज्यादा मात्रा में पाया जाने वाला धतूरा आयुर्वेद में बेहद गुणकारी माना गया है. यह फल हिन्दू धार्मिक ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव को अति प्रिय है. वैसे तो ये पौधा विषैला होता है, लेकिन इसके सूखे पत्ते, फल के बीज का इस्तेमाल आयुर्वेद में ओषधि के रूप किया जाता है. झड़ते हुए बालों की समस्या से लेकर, बवासीर, डैंड्रफ की छुट्टी करने में ये फल मददगार होता है.

ग्रामीण इलाकों में आज भी पैरों में आने वाली सूजन या भारी पन के लिए धतूरे का उपयोग किया जाता है. इसके लिए धतूरे की पत्तियों को पीसकर लेप बनाया जाता है और पैरों पर लगाया जाता है. इससे तत्काल आराम महसूस होने लगता है. इसकी तासीर बहुत गर्म होती है, जिस वजह से मांसपेशियों की प्राकृतिक रूप से सिकाई होती है और मांसपेशियां नरम पड़ जाती हैं. इससे मरीज को तत्काल आराम मिल जाता है.

आयुर्वेद चिकित्सा डॉ. ब्रजेश कुलपारिया ने बताया कि धतूरा उपविष तो है इसके साथ ही आयुर्वेद में इसे बहुत ही अच्छा औषधीय पौधा माना गया है. इसका काफी बीमारियों के उपचार में उपयोग होता है. उन्होंने कहा कि निर्गुंडी, धतूरा, नेम और ऐसे पांच पत्तों का एक कल्प बनाकर के विभिन्न रोगों के उपचार में काफी फायदा होता है. डैंड्रफ, झड़ते बालों की समस्या से लेकर गंजेपन से छुटकारा दिलाने में भी ये कारगर साबित होता है.

(नोट: इसका इस्तेमाल बिना डॉक्टर के परामर्श के ना करें. अधिक मात्रा में इसका उपयोग करने से ये पौधा नुकसान भी पहुंचा सकता है.)

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Disclaimer: इस खबर में दी गई दवा/औषधि और स्वास्थ्य से जुड़ी सलाह, एक्सपर्ट्स से की गई बातचीत के आधार पर है. यह सामान्य जानकारी है, व्यक्तिगत सलाह नहीं. इसलिए डॉक्टर्स से परामर्श के बाद ही कोई चीज उपयोग करें. Local-18 किसी भी उपयोग से होने वाले नुकसान के लिए जिम्मेदार नहीं होगा.

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