कमाई वाली औषधि की खेती… यह किसान कमाता है 13-15 लाख, लागत ढाई से 3 लाख

शिवहरि दीक्षित/हरदोई. कृषि के क्षेत्र में प्रयोग करने के लिए काफी कुछ है. किसान बदलते दौर में खेती में प्रयोग कर भी रहे हैं. उन्हें इसका लाभ मिल रहा है. यूपी के हरदोई में एक ऐसा किसान है जो लीज पर जमीन लेकर औषधीय गुणों वाले सतावर की खेती कर रहे हैं. खास बात यह है कि इस खेती को वह जैविक तरीके से करते आ रहे हैं और बेहतर लाभ भी कमा रहे हैं.

खेती किसानी से बेटे को पढ़ा लिखा कर पीसीएस अधिकारी भी बना दिया है. हरदोई के गांव खाडाखेड़ा के रहने वाले किसान श्रीकृष्ण मौर्या ने 5 एकड़ में नेपाली पीली सतावर की फसल को उगाया. औषधीय गुणों वाली सतावर कई रोगों से लड़ने में मदद करती है. श्रीकृष्ण बताते हैं कि वह 7 वर्षों से सतावर की खेती करते आ रहे हैं और इसे वह गाय के गोबर और केंचुए की मदद से उगा रहे हैं.

कम लागत ज्यादा मुनाफा
सतावर की खेती को जैविक तरीके से करने वाले किसान श्रीकृष्ण बताते हैं कि वह इस फसल को उगाने के लिए उत्तराखंड से बीज को 5 हजार रुपये प्रति किलो में लाए थे. उन्होंने इसकी बुआई की और उसी से नर्सरी तैयार की, इस फसल को 18 से 24 महीने तैयार होने में लगते हैं. उन्होंने 5 एकड़ में सतावर को तैयार किया था. जिसमें से 4 एकड़ की फसल को वह बेच चुके हैं. इसमें उन्होंने लगभग ढाई लाख की लागत लगाई थी और लगभग 13 लाख रुपये कमा चुके हैं. बाकी एक बीघे की फसल है अभी तैयार नहीं है.

लीज पर ली खेती योग्य जमीन
श्रीकृष्ण बताते हैं कि उनके पास पुस्तैनी जमीन 2 एकड़ है, जिसमे इस तरह की खेती नहीं हो सकती. क्योंकि वह जलभराव वाली जमीन है. इसलिए श्रीकृष्ण ने गांव में 12 एकड़ जमीन लीज पर ली, जिसमें वह सतावर के साथ-साथ मूंगफली, ब्रोकली व अन्य सब्जियां उगाते हैं. साथ ही वह इस जमीन पर बागवानी भी करने वाले हैं. बताते हैं कि लीज पर ली गई जमीन का किराया साल का 4 से 5 हजार रुपये देना पड़ता है.

खेती से पढ़ा लिखा कर बेटे को बनाया अधिकारी
किसान श्रीकृष्ण ने बताया कि उनके जीवन यापन का केवल खेती ही जरिया है. वह खेती से ही मेहनत कर होने वाली कमाई से अपने बच्चों को पढ़ाते हैं. जिसके फलस्वरूप उनका एक बेटा 2021 में पीसीएस बन गया और दूसरा बेटा डॉक्टर की तैयारी कर रहा है. साथ ही एक छोटी बेटी अभी पढ़ाई कर रही है.

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