नई दिल्ली:
उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों का रेस्क्यू ऑपरेशन अपने अंतिम चरण में है. इसमें 41 मजदूर पिछले 12 नवंबर से फंसे हुए थे. बेशक इस घटना की पल-पल की जानकारी मीडिया के जरिये लोगों तक पहुंचाई गई और पीएम से लेकर आम जन तक ने इस पर करीब से नजर भी रखी. आप जानते हैं कि खनिकों और आम लोगों के सुरंगों या गुफाओं में फंसने की कई घटनाओं पर फिल्में तक बनाई गई हैं. इस तरह की फिल्में सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बनाई गई हैं. आइए एक नजर डालते हैं ऐसी फिल्मों पर जिनमें खान, गुफा और सुरंग में फंसे लोगों को बहुत ही सूझ-बूझ के साथ बचाया गया.
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मिशन रानीगंज (2023)
अक्षय कुमार और परिणीति चोपड़ा की फिल्म मिशन रानीगंज 1989 की रानीगंज कोलफील्ड की घटना पर आधारित थी. जिसमें माइनिंग इंजीनियर जसवंत सिंह गिल की सूझबूझ से 65 खनिकों की जान बचाई गई थी. फिल्म को टीनू सुरेश देसाई ने डायरेक्ट किया है.
काला पत्थर (1979)
इस फिल्म को यश चोपड़ा ने डायरेक्ट किया था और इसकी कहानी सलीम-जावेद ने लिखी थी. फिल्म में शशि कपूर, अमिताभ बच्चन, राखी गुलजार, शत्रुघ्न सिन्हा, परवीन बाबी, नीतू सिंह और प्रेम चोपड़ा लीड रोल में थे. फिल्म की कहानी चाशनाला माइनिंग घटना की है. चाशनाला माइनिंग डिजास्टर 27 दिसंबर, 1975 की घटना है. जिसमें माइन में विस्फोट हो गया था और इसमें पानी भर जाने से 375 खनिकों की जान चली गई थी.
द 33 (2015)
फिल्म की कहानी 2010 के कोपिआपो माइनिंग डिजास्टर की है जिसमें चिले की सैन होजे माइन में 33 खनिक 69 दिन तक फंसे रहे थे. फिल्म में मशूहर एक्टर एंटोनियो बैंडरस भी नजर आए थे. फिल्म 2015 में रिलीज हुई थी और इसकी खूब तारीफ भी हुई.
थाई केव रेस्क्यू (2022)
ये नेटफ्लिक्स पर मौजूद छह पार्ट की एक लिमिटेड सीरीज है जिसमें जून-जुलाई 2018 की घटना को दिखाया गया है. इसमें यूथ फुटबॉल टीम के 12 खिलाड़ी और उनके असिस्टेंट कोच थाम लुआंग नैंग केव सिस्टम से निकाला गया था. इस गुफा में पानी भर गया था. इस पूरे रेस्क्यू मिशन को इस सीरीज में शानदार तरीके से दिखाया गया है. ये रेस्क्यू मिशन 18 दिन तक चला था.
द ब्रेव डोंट क्राई (1952)
यह ब्रिटिश ड्रामा फिल्म है, जिसे फिलिप लीकॉक ने डायरेक्ट किया है. फिल्म में 1950 की उस घटना को दिखाया गया है जिसमें स्कॉटलैंड में लैंडस्लाइड के दौरान 129 खनिक फंस गए थे. फिल्म को काफी पसंद किया गया था.