कभी मंत्री तो कभी CM के भाई से लिया पंगा, यूं ही नहीं चर्चा में रहते IAS केके पाठक, जानें दिलचस्प किस्से

पटना. बिहार में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक (KK Pathak) एक बार फिर से सुर्खियों में हैं. इस बार उनके सुर्खियों में रहने की वजह है वो सरकारी चिट्ठी जिसने प्रशासनिक गलियारे में खबलबी मचा दी है. दरअसल केके पाठक ने शिक्षा विभाग में एसीएस के अपने पद से परित्याग पत्र दे दिया है. केके पाठक 16 जनवरी तक छुट्टी पर हैं लेकिन इस बीच उनके परित्याग पत्र देने की चिट्ठी वायरल हो रही है जो कि 9 जनवरी की है. कहा जा रहा है कि केके पाठक छुट्टी से लौटने के बाद इस विभाग की कमान संभालेंगे, इसके चांस न के बराबर हैं.

बिहार कैडर के सीनियर और कड़क आईएएस अधिकारी केके पाठक अपने करियर में लगातार सुर्खियों में बने रहे हैं. जब उन्होंने विभाग की कमान संभाली तो कमान संभालते ही उनका पहला विवाद मंत्री से ही हो गया. कई बार अपने ही विभाग के मंत्री से उनके आमने-सामने हो जाने की खबरें भी खूब चर्चा में रही हैं, वजह है उनके कड़क फैसले और अपना काम करने के लिए आजादी की डिमांड. शिक्षकों और शिक्षा विभाग के कर्मियों पर लगातार कार्रवाई किए जाने को लेकर वो इन दिनों हर दूसरे दिन चर्चा में रहते हैं, चाहे वो बात किसी को सस्पेंड करने की हो, या फिर वेतन पर रोक लगाने की.

मंत्रियों से 36 का नाता

मंत्रियों से विवाद की बात करें तो इस कड़क मिजाज आईएएस अधिकारी ने नीतीश सरकार के दो मंत्रियों चंद्रेशखर और रत्नेश सदा से खासा विवाद रहा है. केके पाठक अपने काम और काबिलियत की वजह से वर्ष 2021 में फेम इंडिया मैगजीन ने भारत के 50 असरदार ब्यूरोक्रेट्स की एक सूची में भी शामिल थे. ऐसे में न्यूज 18 हिन्दी आपको बताता है केके पाठक का करियर और उनकी पूरी प्रोफाइल.

1990 बैच के आईएएस

केके पाठक का पूरा नाम केशव कुमार पाठक उर्फ केके पाठक है जो कि 1990 बैच के आईएएस अधिकारी हैं. केके पाठक का जन्म 1968 में जन्म हुआ है और शुरुआती पढ़ाई यूपी से हुई है. वर्ष 1990 में पाठक की पहली नियुक्ति कटिहार में हुई. इसके बाद वो गिरिडीह (तब बिहार का हिस्सा) में भी एसडीओ रहे.

1996 में बने डीएम

वर्ष 1996 में केके पाठक पहली बार डीएम बने. उस वक्त बिहार में लालू का साशन था और झारखंड साथ था, ऐसे में उन्हें संयुक्त बिहार के गिरिडीह जिले की कमान मिली. राबड़ी देवी के शासन के दौरान पाठक को लालू यादव के गृह जिले गोपालगंज की जिम्मेदारी भी मिली. यहीं पर पाठक ने पहली बार सुर्खियां बटोरीं क्योंकि केके पाठक ने गोपालगंज में एमपीलैड फंड से बने एक अस्पताल का उद्घाटन सफाईकर्मी से करवा दिया.

लालू के साले को भी दिखाया था अपना पावर

गोपालगंज के डीएम रहते केके पाठक ने वहां के सांसद और राबड़ी देवी के भाई यानी लालू यादव के साधु यादव से भी पंगा ले लिया था. गोपालगंज में पाठक की हनक और ठसक से आखिरकार मुख्यमंत्री राबड़ी देवी तंग आ गईं. इसके बाद उनके भाई साधु यादव का भी दबाव बना और केके पाठक को सचिवालय बुला लिया गया. पाठक की हनक से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, पूर्व सांसद रघुनाथ झा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की भी मुश्किलें बढ़ा चुके हैं

इन विभागों में कर चुके हैं काम

सीनियर आईएएस बनने पर केके पाठक को बड़ा पद मिला. पाठक को बिहार औद्योगिक क्षेत्र विकास प्राधिकरण (BIADA) का प्रबंध निदेशक बनाया गया. केके पाठक पाठक बिहार आवास बोर्ड के सीएमडी भी रहे. नीतीश कुमार के करीबी अधिकारी अरुण कुमार के निधन के बाद शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी पाठक को सौंपी गई.

5 साल तक रहे प्रतिनियुक्ति पर

वर्ष 2010 में पाठक केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए. इसके बाद फिर साल 2015 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद सीएम नीतीश कुमार ने उन्हें वापस बुलाया. 2015 में बिहार में शराबबंदी नीति लागू करने में केके पाठक ने बड़ी भूमिका निभाई.

Tags: Bihar News, PATNA NEWS

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