हिमांशु जोशी/ पिथौरागढ़. एक दौर था जब पिथौरागढ़ की पहचान मैग्नेसाइट फैक्ट्री थी. ये फैक्टरी सैकड़ों परिवारों की रोजी-रोटी का जरिया होने के साथ ही, ऐसे उत्पाद तैयार करती थी, जिसकी डिमांड देश भर में थी लेकिन वक्त के साथ ये पहचान धुंधली पड़ गई है. हालात ये है कि एक दौर की पहचान ये मैग्नेसाइट फैक्ट्री अब खंडहर में तब्दील हो गई है.
पिथौरागढ़ मुख्यालय के सटे इलाकों में मैग्नीशियम कार्बोनेट पाया जाता है. यहां मिलने वाले मैग्नीशियम कार्बोनेट की क्वालिटी का दुनिया में कोई सानी नही है. यही वजह थी कि जेके झुनझुनवाला ने 1974 में यहां मैग्नेसाइट फैक्ट्री खोली थी. चंडाक में लगाई गई ये फैक्ट्री देखते ही देखते पिथौरागढ़ की पहचान बन गई थी . आलम ये था कि पिथौरागढ़ को देश के अन्य हिस्सों में मैग्नीशियम कार्बोंनेट के लिए जाना जाने लगा.
जिले के इकलौती फैक्ट्री का था बोलबाला
जिले की इकलौती फैक्ट्री होने के कारण चंडाक का इलाका भी खासा गुलजार भी रहने लगा. यहां के स्थानीय निवासी और सीनियर सिटीजन दीवान सिंह वल्दिया बताते हैं कि उनके जवानी के दिनों में मैग्नेसाइट फैक्ट्री का बोलबाला था. यहां से देश के कोने-कोने तक माल सप्लाई हुआ करता था. लेकिन दुर्भाग्यवश इस फैक्ट्री के बंद हो जाने से पिथौरागढ़वासियों की भावनाओं को ठेस पहुंची.
1998 में लग गया था मैग्नेसाइट फैक्ट्री पर ताला
मैग्नेसाइट फैक्ट्री ने पिथौरागढ़ को पहचान देने के साथ ही रोजगार भी दिया. आलम ये था कि करीब 400 से अधिक लोग फैक्ट्री के नियमित कर्मचारी थे . यही नही हजारों परिवारों की रोजी-रोटी भी इससे जुड़ी थी. लेकिन 1990 में खुली बाजार नीति की सबसे अधिक मार इस पर पड़ी और 1998 में इसमें ताला लग गया.
इन्वेस्टर समिट से जागा लोगों का भरोसा
उत्तराखंड प्रदेश में सरकार द्वारा इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन किया गया था जिस कारण एक बार फिर पिथौरागढ़ के लोगों में मैग्नेसाइट फैक्ट्री दुबारा शुरू करने की आस जगी है. यहां उस समय के कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष रहे केदार शेट्टी ने सरकार से इसे दुबारा शुरू करने की मांग की है. जिससे पिथौरागढ़ के लोगों को फिर से रोजगार से जोड़ा जा सके. फैक्ट्री बंद होने के बाद जहां हजारों लोगों का रोजगार छीन गया, वहीं जिले की पहचान पर भी खतरा मंडराने लगा हैं
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 15:27 IST