शिखा श्रेया/रांची. कई बार घर के हालातों से मजबूर होकर लोग गलत रास्ते पकड़ लेते हैं या फिर अपनी मजबूरी का रोना रोते हैं.लेकिन कुछ लोग ऐसे होते हैं जो मजबूरी को अपनी सीढ़ी बनाकर सफलता की बुलंदी को छूते हैं.ऐसी ही एक कहानी हैं झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा में रहने वाली नेहा की.नेहा धुर्वा के जेएससीए स्टेडियम के ठीक पीछे मोमो का स्टॉल लगाती है व मोमो बेच कर अपने पूरे परिवार का भरण पोषण काफी अच्छे से कर रही है.
नेहा ने कहा कि मेरे परिवार में मेरे माता-पिता के अलावा मेरे साथ, ससुर, मेरे पति और एक बेटी है.मेरी बेटी डेढ़ साल की है.यहां मोमो का स्टॉल लगाकर मैं अपने पूरे परिवार का भरण पोषण करती हूं और यह मैं पिछले 7 सालों से कर रही हूं. घर की आर्थिक स्थिति काफी खराब थी, जिस वजह से मैंने मोमो का स्टॉल लगाने का निश्चय किया.
पहले शर्म आती थी स्टॉल लगाने में
नेहा ने कहा कि जब शुरू स्टॉल लगाना शुरू किया था तो शर्म आती थी.होता यह था कि जब कॉलेज या स्कूल के दोस्त दिख जाते थे तो मैं स्टॉल के पीछे जाकर छुप जाती थी.ताकि वह मुझे देख ना पाए.लेकिन अब मैं काफी गर्व के साथ मोमो बचा करती हूं.बल्कि, अब तो मैं अपने दोस्तों व रिश्तेदारों को अपने स्टॉल पर बुलाती हूं कि आप आये और मेरे हाथों का स्वाद चखे. क्योंकि अब मुझे समझ में आ गया है कि ईमानदारी से अगर आप अपने परिवार के लिए कुछ काम करते हैं तो उसमें किसी तरह की कोई शर्म की बात नहीं होती.आगे बताती है मैं धुर्वा के प्रभात तारा मैदान से दसवीं तक की पढ़ाई की है और आगे की पढ़ाई मैंने मारवाड़ी कॉलेज से पूरी की है.हालांकि, मैंने केवल बीए पार्ट 2 तक की पढ़ाई की है. इसी बीच में पढ़ाई छोड़ दी क्योंकि घर की माली हालत ठीक नहीं थी.इससे पहले में किसी और के मोमो स्टॉल में काम किया करती थी.हर दिन 10 घंटे काम करना होता था, तब जाकर लगा किसी और के लिए 10 घंटे देने से बेहतर मैं खुद को 10 घंटे दूंगी.
आज 50,000 तक हो जाती है कमाई
नेहा बताती है आज 40 से 50,000 तक महीने की कमाई हो जाती है. इससे पूरा घर चलाना होता है.घर में दवा दारू से लेकर राशन तक सब देखना होता है. हालांकि घर के लोग भी मेरे कामों में बहुत सहयोग करते हैं.जैसे सुबह से ही मोमो की तैयारी मेरी सास व मां मिलकर करती है.जिससे मुझे काफी राहत मिलती है पूरे परिवार का सहयोग रहता है.
मोमो का स्वाद भी है लाजवाब
नेहा सिर्फ मोमो बना कर अपना घर चलाने का काम ही नहीं करती बल्कि लोगों को स्वादिष्ट मोमो भी खिलाती है.नेहा के हाथ के मोमो लोग काफी पसंद करते हैं.नेहा बताती है मोमो में सिर्फ कच्चे बंधागोभी, गाजर व नमक का इस्तेमाल करती हूं,इससे ज्यादा कुछ नहीं.साथ ही इन सब्जी को फ्राई भी नहीं करती.क्योंकि फ्राई करने से इसका ऑथेंटिक टेस्ट चल जाता है.ऐसे मोमो अक्सर आपको दार्जिलिंग में ही देखने को मिलेंगे. आगे बताती है महिलाओं को घर की मुश्किलों से भागने या फिर शिकायत करने से अच्छा है छोटा हो या बड़ा काम खुद का कुछ शुरू करें और मेहनत से कमाए.
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FIRST PUBLISHED : August 24, 2023, 14:36 IST