कभी जूते के लिए नहीं थे पैसे, आज मजदूर की बेटी बास्केटबॉल में नाम कर रही रोशन

बिट्टू सिहं/सरगुजाः कौन कहता है केवल लड़के ही अपने पिता और मां के नाम को रोशन कर सकते हैं, इस काम को बेटियां भी बखूबी कर रही हैं. ऐसी ही सरगुजा की एक बेटी, अपने मजदूर पिता और मां के नाम रोशन कर रही है. राजस्थान के बाड़मेर जिले में होने वाली नेशनल बास्केटबॉल गेम में छत्तीसगढ़ की टीम में सरगुजा से सीमा नागेशिया का सलेक्शन हुआ है. यह मैच 8 जनवरी से 13 जनवरी तक होना है. इसमें छत्तीसगढ़ टीम के जूनियर खिलाड़ी भी शामिल होंगी.

सीमा के सलेक्शन होने पर पूरा परिवार भी खुश है. इनके पिता घर बनाने के काम करते हैं, और मां भी साथ में ही मजदूरी करती हैं. जब सीमा को खेल के प्रति रुचि आया फिर सामने कई चुनौती आने लगी थी, तब सीमा के मां पिता के पास जूते खरीदने तक के पैसे नहीं थे. सीमा ने जब अपने पिता से जूते खरीदने की गुजारिश की तो परिवार के लोगों ने महंगे जूते खरीदने से मना कर दिया. सीमा किसी तरह अपना व्यवस्था कर अंबिकापुर के बास्केटबॉल कोंच राजेश प्रताप सिंह के खेल ग्राउंड पहुंची.

जहां सीमा के जज्बे को देख कोच राजेश प्रताप सिहं ने जूते और अन्य खेल के समाग्री उपलब्ध कराए. इसके बाद से लगातार सीमा खेल प्रति मेहनत करती रही. अब सीमा राजस्थान में छत्तीसगढ़ जूनियर टीम के साथ खेलेंगी.

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चचेरी बहन से मिली प्रेरणा
13 वर्षीय सीमा नागेशिया ने बताया कि बड़ी मम्मी के बेटी को खेल में देख खेल के प्रति रुचि आई थी. उन्होंने बताया कि हम तीन बहनें हैं जिसमें बड़ी बहन की शादी हो गई हैं. हमारे पिता और मां के पास इतने पैसे नहीं थे, कि हमें खेल के लिए अन्य समाग्री खरीद सकें. मम्मी-पापा दोनों मजदूरी करते हैं. लेकिन हमारे कोच राजेश प्रताप सिंह ने काफी मदद की और आज नेशनल भी खेलने का मौका मिला है.

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सरगुजा बास्केटबॉल कोंच राजेश प्रताप सिंह ने बताया कि ऐसे बच्चों को मदद कर काफी खुशी मिलती हैं. ऐसे खिलाड़ियों को मदद कर हमेशा प्रयास होता है कि सरगुजा के बच्चे खेल में खूब आगे बढ़ें और खेल के जरिए एक अच्छी नौकरी भी हासिल कर सकें.

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