कभी छोटी हाइट की वजह से लोग उड़ाते थे मजाक! आज बनी समाज के लिए मिसाल

मनीष कुमार/कटिहार. आकृति कुमारी की कहानी एक सच्चे प्रेरणास्रोत रूप में सामने आती है. हृदयगंज कोशी कॉलोनी की इस निवासी ने अपने छोटे से आकार के बावजूद, जीवन की चुनौतियों का सामना किया है और सक्सेस की ऊचाइयों तक पहुंच गई है. पहले लोग उनके व्यक्तिगत विकल्पों पर हंसी उड़ाते थे, लेकिन आज उनके कार्य ने समाज को एक नए दृष्टिकोण से देखने को मजबूर कर दिया है.  आकृति कुमारी ने अपने सपनों की पूर्ति के लिए हार नहीं मानी और अपने माता-पिता और परिवार के समर्थन के साथ खुद को पुनः बनाया.

आज, उनकी कोचिंग सेंटर में बच्चे न केवल शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अनूठी शैली में शिक्षित किया जा रहा है. उनकी प्रेरणा से ही निजी विद्यालय में भी लगभग 200 से अधिक छात्र रोजगारी के दायरे में शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं. उनका होम ट्यूशन भी उनकी सामर्थ्यपूर्ण प्रयासों का परिचायक है, जो नए रास्तों की प्रक्रिया का प्रतीक है. इसके माध्यम से आकृति कुमारी ने नहीं सिर्फ अपने जीवन को सफलता से भरा है, बल्कि उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और आत्मनिर्भरता के माध्यम से दूसरों को भी प्रेरित किया है. उनकी कहानी साबित करती है कि जीवन में आगे बढ़ने के लिए सीमाओं को पार करना और सपनों को हकीकत में बदलना संभव है, बस इसके लिए आत्मविश्वास और सहारा की आवश्यकता होती है.

करना चाहती है BPSC
एमबीए कर रही आकृति कुमारी का सपना है कि वह बीपीएससी की परीक्षा पास करके एक शिक्षिका बने और गरीब और असहाय बच्चों को बेहतर शिक्षा दें. जब वह पांचवी कक्षा में थी, तो उसे यह पता चला कि वह दिव्यांग हैं. इसके बाद भी कई चिकित्सकों के साथ इलाज किया गया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. विद्यालय और जगह-जगह जाने पर भी उसे लोगों का ताना और मजाक बर्दाश्त करना पड़ता था.इसके बावजूद, अपने मामा और अन्य परिजनों के साथ मिलकर उसने मेहनत और साहस दिखाया और खुद को  कमरे में बंद करने के बजाय, कोचिंग, विद्यालय, और होम ट्यूशन के माध्यम से उच्चतम शिक्षा की दिशा में कदम बढ़ाया. आज, वह उन लोगों को जवाब दे रही है जो कभी उसका मजाक उड़ाते थे, और अपने सपनों की पूर्ति में सफलता की ऊंचाइयों तक पहुंच गई है.

प्रत्येक शनिवार और रविवार वर्क शीट करती है तैयार
आकृति कुमारी कहती है कि प्रत्येक शनिवार और रविवार को वह पहले बच्चों को किस तरह से बेहतर शिक्षा दिया जाए इसके लिए वर्कशीट तैयार करती है. उसके बाद अगले दिन बच्चों को पढ़ाती है. आकृति कुमारी के पास पढ़ा रही पिंकी कुमारी कहती है कि जिस तरह से आकृति कुमारी दिव्यांग होने के बावजूद और छोटी हाइट होने के बावजूद इतनी मेहनत कर रही है जो अन्य युवती के लिए काफी प्रेरणा की बात है. वही, अरुण कुमार चौधरी कहते हैं कि आकृति कुमारी की ओर से किए जा रहे कार्य काफी तारीफ- ए-काबिल है और वह भी आकृति कुमारी को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव मदद करने को तैयार हैं.

हर इंसान में है कमी
आकृति कुमारी के मामा रिंकू कुमार कहते हैं कि जब उसकी भांजी आकृति कुमारी ने हिम्मत हार दिया था, तब उन्होंने अपने भांजी को कहा कि हर इंसान में कुछ ना कुछ कमी होती है, इस वजह से खुद को एक कमरे में बंद कर लेना सही नहीं है. उन्होंने लगातार अपनी भांजी को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया आज उनकी भांजी आकृति कुमारी जिस तरह से मेहनत कर रही है और उनके इस मेहनत का नाम दूर-दूर तक हो रहा है वह भी बेहद खुश हैं.

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