Bipolar Disorder: सेहतमंद रहने के लिए केवल शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक रूप से भी स्वस्थ्य रहना जरूरी है. क्योंकि, मानसिक स्वास्थ्य जुड़ी कई ऐसी बीमारियां जो सेहत के लिए घातक साबित हो सकती हैं. ऐसी ही बीमारियों में एक बाइपोलर डिसऑर्डर है. जी हां, बाइपोलर डिसऑर्डर एक ऐसी मानसिक स्थिति है, जिसमें व्यक्ति की भावनाएं स्थिर नहीं रहती हैं. इस स्थिति में कई बार व्यक्ति अपने व्यवहार पर भी नियंत्रण नहीं रख पाता है. कभी गुस्सा, कभी मजाक या तो कभी-कभी अजीबों गरीब हरकतें होना इस बीमारी के शुरुआती लक्षण हैं. हालांकि, ज्यादातर लोग इन लक्षणों को अनदेखा कर जाते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं. ऐसे में जरूरी है कि बीमारी के लक्षणों की पहचान कर डॉक्टर से मिलें. अब सवाल है कि बाइपोलर डिसऑर्डर है क्या? किन लक्षणों से करें बीमारी की पहचान? क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज? इन सवालों के बारे में विस्तार से बता रही हैं लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की प्रोफेसर एवं मनोचिकित्सक डॉ. प्रेरणा कुकरेती-
क्या है बाइपोलर डिसऑर्डर: बाइपलोर डिसऑर्डर को द्विध्रुवीय विकार कहा जाता है और जैसा कि इसके नाम से पता चलता है, यह बार-बार मूड को बदलने वाला एक विकार है. सरल भाषा में कहें तो बाइपोलर डिसऑर्डर से ग्रसित व्यक्ति के मूड बार-बार स्विंग होने लगते हैं. इस बीमारी से जुड़ी पर्याप्त जानकारी न होने के कारण अक्सर इस बीमारी को इग्नोर कर दिया जाता है.
किस उम्र से शुरू होती है बीमारी: टाइप-I बाइपोलर डिसऑर्डर (बीपीडी) की शुरुआत में उम्र आम तौर पर औसतन 12-24 वर्ष होती है. टाइप-2 बीपीडी वाले रोगियों में यह अधिक उम्र की होती है, और एकध्रुवीय प्रमुख अवसादग्रस्तता विकार 1,2,3 में सबसे अधिक उम्र की होती है.
बाइपोलर डिसऑर्डर का कारण: बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है और ज्यादातर मेंटल इलनेस की तरह है यह भी जेनेटिक या चाइल्डहुड ट्रामा जैसी स्थितियों में विकसित होती है. इसके अलावा अन्य कई कारण हो सकते हैं, जिनके कारण बाइपोलर डिसऑर्डर जैसी स्थितियां विकसित हो सकती हैं जैसे बहुत ज्यादा नशा करना, दिमाग से जुड़ी कोई चोट, खराब रिलेशनशिप, तलाक, परिवार में किसी की मृत्यु हो जाना, गंभीर बीमारी और पैसों की समस्याएं होना भी इस बीमारी का संकेत हो सकते हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर के लक्षण: मूड में बार-बार बदलाव यानी कभी गुस्सा तो कभी मजाकिया मूड बाइपोलर डिसऑर्डर के शुरुआती लक्षण हैं. इसके अलावा, रात को नींद न आना, अचानक से दिमाग में हलचल महसूस होना, बार-बार पैनिक अटैक आना, किसी प्लान को लेकर अत्यधिक उत्साहित होना, जरूरत से ज्यादा बोलना और एक चीज पर ज्यादा समय तक ध्यान न लगाकर रख पाना आदि भी बाइपोलर के लक्षण हैं.
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज: बाइपोलर डिसऑर्डर का कोई जड़ से इलाज नहीं है, लेकिन दवाएं हैं जिनकी मदद से इसके लक्षणों को ठीक किया जा सकता है और काफी हद तक इस बीमारी को कंट्रोल किया जा सकता है. बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज में आमतौर पर अलग-अलग प्रकार की दवाएं व सप्पोर्टिव थेरेपी आदि शामिल हैं. ज्यादातर मामलों में बाइपोलर डिसऑर्डर के इलाज में साइकोथेरेपी और दवाएं दोनों का ही इस्तेमाल किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED : February 5, 2024, 15:11 IST