कब है संतान सप्तमी का व्रत? महिलाओं के लिए खास है इसका महत्व, 150 साल बाद बन रहा विशेष संयोग

परमजीत कुमारदेवघर. हिन्दू धर्म में संतान सप्तमी पर्व बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है. संतान सप्तमी के दिन महिलाएं अपने बच्चे की लम्बी उम्र और तरक्की के लिए व्रत रखकर भगवान सूर्य ओर लड्डू गोपाल की पूजा अराधना करती है. साथ ही संतान प्राप्ति के लिये यह व्रत रखने से मनोकामना पूर्ण होती है. वहीं ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि संतान सप्तमी हर साल भाद्रमाह के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथी को मनायी जाती है. इस दिन राधाअष्ट्मी भी पड़ रहा है. ऐसा संयोग 150 सालों बाद लगने जा रहा है.

देवघर के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नन्द किशोर मुदगल ने लोकल 18 को बताया कि संतान सप्तमी व्रत का खासा महत्व है. निःसंतान महिलाएं इस दिन व्रत रखकर भगवान सूर्य और लड्डू गोपाल यानि कृष्ण भगवान के छोटे स्वरुप की अगर सच्चे मन से पूजा आराधना करती है तो उनकी मनोकामना जरूर पूर्ण होती है. सबसे खास बात यह है कि इस दिन राधाअष्टमी भी पड़ रहा है. करीब 150 साल बाद ऐसा संजोग बन रहा है. महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामने के साथ ही संतान सप्तमी का व्रत रखती है. इस व्रत को ललिता सप्तमी भी कहते हैं.

कब है संतान सप्तमी?

संतान सप्तमी का व्रत हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को मनायी जाती है. इस साल 22 सितंबर को संतान सप्तमी का व्रत रखा जाएगा. दिन शुक्रवार रहने के कारण इस व्रत का महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है. इस दिन से महालक्ष्मी व्रत की भी शुरुआत होने जा रही है. आर्थिक तंगी से छुटकारा पाने के लिए महालक्ष्मी व्रत बहुत अहम माना गया है.

पूजा का शुभ मुहूर्त:

संतान सप्तमी की शुरुआत 21 सितंबर दिन बृहस्पतिवार दोपहर 02 बजकर 35 मिनट से होने जा रहा है. वहीं इसका समापन अगले दिन 22 सितंबर दिन शुक्रवार दोपहर 03 बजकर 35मिनट पर होने वाला है. लेकिन उदया तिथि के अनुसार संतान सप्तमी का व्रत 22 सितंबर को रखा जाएगा. वहीं पूजा करने का शुभ मुहूर्त पहले सुबह 05 बजकर 22 मिनट से सुबह 07 बजकर 49 मिनट तक रहने वाला है. इसके साथ ही शाम में 06 बजकर 09 मिनट से लेकर 08 बजकर 43 मिनट तक लड्डू गोपाल की पूजा अवश्य करें.

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